उत्तर प्रदेश: कभी कौड़ी-कौड़ी के लिए मोहताज गोंडा में हो रही डॉलर, रियाल, दीनार की बारिश!

गोंडा जिले के वजीरगंज क्षेत्र के नौबस्ता निवासी डॉ. सिन्हा ने अपने सोशल इंजीनियरिंग के दम पर क्षेत्र के लोगों को विदेशी धरती पर पहुंचाकर रोजगार दिलाने में मदद की है. झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले मुसलमान और हिंदुओं की अब कोठियां झलक रही हैं.

डॉलर (Photo Credit: IANS)

कभी कौड़ी-कौड़ी के मोहताज रहने वाले उत्तर प्रदेश में गोंडा जिले के वजीरगंज क्षेत्र के लोग पैसे की खनक सुनने को तरसते थे, लेकिन अब इनकी उंगलियां डॉलर, दीनार, येन और रियाल पर नाचती हैं. विदेशी मुद्रा की यहां ऐसी बारिश हो रही है कि इनकी झुग्गी-झोपड़ी जैसे घर पक्के मकान में तब्दील हो रहे हैं और इनके बच्चे स्कूल, कॉलेज पहुंचकर डिग्रियां हासिल कर रहे हैं. दरअसल, गरीब तबके के लोगों के सपनों को सॉफ्टवेयर इंजीनियर डॉ. दीपेन सिन्हा ने पंख लगा दिए हैं.

गोंडा जिले के वजीरगंज क्षेत्र के नौबस्ता निवासी डॉ. सिन्हा ने अपने सोशल इंजीनियरिंग के दम पर क्षेत्र के लोगों को विदेशी धरती पर पहुंचाकर रोजगार दिलाने में मदद की है. झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले मुसलमान और हिंदुओं की अब कोठियां झलक रही हैं.

डॉ. सिन्हा ने पहले अमेरिका के न्यूजर्सी स्थित एक सॉफ्टवेयर कंपनी में नौकरी की. फिर अपने इलाके के काफी लोगों को कोलंबो, सिंगापुर, इंडोनेशिया, दुबई आदि देशों में भेजने में मदद की. इनकी देखादेखी मुस्लिम बिरादरी के लोगों ने भी प्रयास कर अपने काम के लोगों को विदेश की धरती पर रोजगार दिलवाना शुरू किया.

अमेरिका के न्यूजर्सी में डॉ. सिन्हा की अब खुद की सॉफ्टवेयर कंपनी है. जगदीशपुर कटरा के मोहम्मद वसीम सीरिया के दमिश्क में रेस्तरां चला रहे हैं. भगोहर के निसार समेत तीन भाई सऊदी अरब में हेयर कटिंग का काम कर रहे हैं. ये नाम तो महज बानगी भर हैं. वजीरगंज विकास खंड के लगभग दो सौ से अधिक लोगों ने जीवकोपार्जन के लिए सात समंदर पार के देशों को चुना है. करीब आधा दर्जन से अधिक देशों में इन हिंदुस्तानी हाथों का हुनर सिर चढ़कर बोल रहा है.

वजीरगंज का गौरिया गांव रोल मॉडल बन गया है. इस गांव के 30 लोग विदेश में एक मजरा बना चुके हैं और अपने-अपने हुनर का लोहा मनवा रहे हैं और देश में विदेशी मुद्रा भेजकर आर्थिक बल प्रदान करने में जुटे हुए हैं.

गरीबी के लहजे से उत्तर प्रदेश के मानचित्र पर नीचे से तीसरे पायदान पर खड़ा यह जिला अशिक्षा के अभिशाप से अभी तक व्यथित है, लेकिन परिवर्तन की लहर ने लोगों के जेहन में आशा जगा दी है. एक-एक कर पिछड़ापन दूर होने लगा है। पूरे इलाके में झुग्गी-झोपड़ी की जगह आरसीसी वाले पक्के मकान बन रहे हैं.

गोंडा की नौबस्ता इंडस्ट्री के मैनेजर पंकज दूबे ने बताया, "दीपेन सिन्हा आज हमारे क्षेत्र के रोल मॉडल बन चुके हैं. इन्हीं के कारण हमारे गांव के आस-पास के कई लोग विदेशों में हैं. इन्होंने यहां रोजगार के लिए भी एक फैक्ट्री डाली है."

उन्होंने बताया कि यहां के लोगों में अपने कैरियर का सिक्का विदेशों में जमाने की चाहत बढ़ रही है. काफी लोगों ने कई देशों के विभिन्न विभागों में जाने की तैयारी कर रखी है और बकायदा आवेदन कर रहे हैं. पासपोर्ट बनवाने के लिए दो सौ से अधिक आवेदकों के कागजात जमा किए हैं.

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