छत्तीसगढ़ के एक गांव में आजादी के 75 साल बाद बन रही सड़क, लोग हुए खुश
देश को आजादी मिले 75 हो चुके हैं, मगर कई गांव ऐसे हैं, जहां अब तक सड़क जैसी मूलभूत सुविधा भी नहीं मिल पाई है. ऐसा ही एक गांव है छत्तीसगढ़ के बलरामपुर में, जहां अब सड़क बनाई जा रही है
बलरामपुर, 15 जनवरी: देश को आजादी मिले 75 हो चुके हैं, मगर कई गांव ऐसे हैं, जहां अब तक सड़क जैसी मूलभूत सुविधा भी नहीं मिल पाई है. ऐसा ही एक गांव है छत्तीसगढ़ के बलरामपुर में, जहां अब सड़क बनाई जा रही है. बलरामपुर रामानुजगंज जिले का पुंदाग गांव मुख्यालय से करीब 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. गांव की आबादी करीब 22 सौ है. इस गांव में अब तक सड़क नहीं थी. पुंदाग गांव के पहाड़ी कोरबा जनजाति के अमावस बताते हैं कि मेरी उम्र करीब 40 साल है. लेकिन मैंने अब तक जिला मुख्यालय बलरामपुर नहीं गया हूं. कारण पूछने पर कहते हैं कि यहां से बलरामपुर जाने के लिए सड़क ही नहीं थी.
हमारे गांव के लोग काम पड़ने पर झारखंड के रास्ते छत्तीसगढ़ आना-जाना करते थे. कभी कोई बीमार पड़ता था तो बड़ी परेशानी होती थी. सड़क बन जाने से हमारे बच्चों को बड़ा फायदा होगा, वे उच्च शिक्षा के लिये गांव से बाहर जा पाएंगे. पुंदाग जाने के लिए घने जंगल और कई घाट पड़ते हैं. दुर्गम इलाका होने की वजह से यहां सड़क बनाना आसान नहीं था. बीच रास्ते में कई सारी चट्टाने और नाले बड़ी बाधा थे. इसके साथ ही ये इलाका अति नक्सल प्रभावित था. इस गांव के तुरंत बाद झारखंड सीमा पर बूढ़ापहाड़ इलाका है, जिसे नक्सलियों का गढ़ माना जाता था. यह भी पढ़े: छत्तीसगढ़ की तीन योजनाओं को मिली राष्ट्रीय स्तर में पहचान, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मार्गदर्शन में चिप्स की अनूठी पहल की गयी
राज्य बनने के बाद से इस इलाके में करीब 435 नक्सली घटनाएं हुई थीं, लेकिन विगत चार वर्षो की बात करें तो मात्र छुटपुट घटनाएं हुई हैं, साथ ही एक भी जान-माल का नुकसाल कुछ हुआ है। पुलिस ने इस क्षेत्र से नक्सलियों को करीब-करीब खदेड़ दिया है. पूर्व में नक्सली घटनाओं के चलते इस क्षेत्र में विकास कार्यो की गति थोड़ी धीमी हो गई थी, लेकिन विगत चार वर्षो में यहां 24 किलोमीटर में चार कैंप स्थापित किए गए हैं.
ये कैंप सबाग, बंदरचुआ, भुताही और पुंदाग में लगाए गए हैं. इन कैंप को खोलने में राज्य सरकार ने पूरी सहायता उपलब्ध कराई है. यहां पर जवानों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए कई बोर कराए गए हैं. कैंप खुलने का नतीजा ये हुआ कि यहां नक्सली घटनाएं एकदम शून्य की ओर हैं और इलाके में विकास कार्य तेजी से शुरू हो गया है.