दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल की जमानत पर लगाई रोक, एक दिन पहले ही स्पेशल कोर्ट ने दी थी बेल

दिल्ली हाई कोर्ट ने सीएम अरविंद केजरीवाल की जमानत पर रोक लगा दी है और मामले की सुनवाई तक केजरीवाल जेल में ही रहेंगे.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की शराब घोटाले में जमानत पर रिलीज होने का मामला अब उच्च न्यायालय में फंस गया है. उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा दी गई जमानत पर रोक लगा दी है और मामले की सुनवाई तक केजरीवाल जेल में ही रहेंगे.

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने केजरीवाल की जमानत पर रिलीज को चुनौती देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. ED का कहना था कि जांच के महत्वपूर्ण चरण में केजरीवाल को रिहा करने से जांच प्रभावित होगी क्योंकि वे मुख्यमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर हैं.

इस पर केजरीवाल के वकील अभिषेक मनू सिंहवी ने तर्क दिया कि याचिका पर जल्द सुनवाई की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन उच्च न्यायालय ने उनका तर्क खारिज कर दिया. जस्टिस सुधीर जैन ने कहा कि जब तक उच्च न्यायालय में सुनवाई लंबित है, निचली अदालत का आदेश प्रभावी नहीं होगा.

दिल्ली शराब घोटाला: क्या है मामला?

दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नई आबकारी नीति 2021-22 लागू की थी. इस नीति के तहत, सरकार शराब के व्यवसाय से बाहर निकल गई और सभी दुकानें निजी हाथों में चली गई.

दिल्ली सरकार का दावा था कि नई आबकारी नीति से माफिया राज खत्म होगा और सरकार की आय में वृद्धि होगी. लेकिन यह नीति शुरुआत से ही विवादों में घिरी रही और जब हंगामा बढ़ा तो सरकार ने 28 जुलाई 2022 को इसे रद्द कर दिया.

8 जुलाई 2022 को तत्कालीन दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार की रिपोर्ट से कथित शराब घोटाले का पर्दाफाश हुआ. इस रिपोर्ट में उन्होंने मनोज सिसोदिया सहित आम आदमी पार्टी के कई बड़े नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए थे.

दिल्ली एलजी वीके सक्सेना ने इस मामले में CBI जांच की सिफारिश की थी. इसके बाद 17 अगस्त 2022 को CBI ने मामला दर्ज किया. इसमें मनी लॉन्ड्रिंग का भी आरोप था, इसलिए ED ने भी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए मामला दर्ज किया.

मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में मनोज सिसोदिया पर आबकारी नीति को गलत ढंग से तैयार करने का आरोप लगाया था. मनोज सिसोदिया के पास आबकारी विभाग भी था. आरोप था कि नई नीति के माध्यम से लाइसेंसधारी शराब व्यापारियों को अनुपयुक्त लाभ दिया गया.

रिपोर्ट में आरोप लगाया कि कोविड का बहाना बनाकर मनमाने तरीके से 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ कर दी. एयरपोर्ट जोन के लाइसेंसधारियों को भी 30 करोड़ लौटा दिए गए, जबकि ये रकम जब्त की जानी थी.

 

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