दुश्मनों से बदला लेने के लिए POCSO एक्ट का हो रहा गलत इस्तेमाल, फर्जी मामलों पर केरल HC ने दी चेतावनी
केरल हाईकोर्ट ने POCSO एक्ट के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए कहा कि इसका इस्तेमाल कुछ लोग प्रतिशोध और निजी स्वार्थ के लिए कर रहे हैं. कोर्ट ने झूठे और दुर्भावनापूर्ण मामलों को प्राथमिक स्तर पर ही खारिज करने की आवश्यकता बताई.
POCSO अधिनियम के दुरुपयोग पर केरल हाईकोर्ट की चिंता: झूठे आरोपों से बचने की जरूरत
केरल हाईकोर्ट ने पाया है कि POCSO अधिनियम (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस एक्ट) का उपयोग कुछ लोग अपने प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ बदला लेने के लिए कर रहे हैं. अदालत ने कहा कि इस प्रकार के मामलों में "सच्चाई को झूठ से अलग करना" जरूरी है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आरोपों में कोई वास्तविकता है या वे केवल प्रतिशोध के लिए लगाए गए हैं.
झूठे मामलों पर अदालत की सख्त नजर
जस्टिस ए. बदरूद्दीन ने कहा कि झूठे और बेबुनियाद मामलों को खत्म करने के लिए अदालत को धारा 482 सीआरपीसी या भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 528 के तहत अपने अधिकारों का उपयोग करना चाहिए. उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि POCSO अधिनियम का उद्देश्य बच्चों को यौन शोषण से बचाना है, लेकिन अब कुछ लोग इसका दुरुपयोग कर रहे हैं.
मामला: पति पर झूठे आरोप
इस मामले में, शिकायतकर्ता (पत्नी) ने अपने पति पर शादी से पहले, जब वह नाबालिग थी, यौन शोषण करने का आरोप लगाया.
शिकायतकर्ता और आरोपी 2017 में कानूनी रूप से शादीशुदा हुए, लेकिन महिला ने 2020 में शिकायत दर्ज कराई. आरोपी का दावा था कि ये आरोप उनके वैवाहिक मतभेद के कारण लगाए गए हैं. अदालत ने पाया कि आरोपों को दर्ज कराने में तीन साल की देरी के पीछे कोई उचित स्पष्टीकरण नहीं था.
अदालत ने कहा, "यह स्पष्ट है कि ये आरोप पत्नी द्वारा पति के खिलाफ बदला लेने के लिए लगाए गए हैं. आरोप झूठे और आधारहीन हैं." इस प्रकार, अदालत ने मामले की अंतिम रिपोर्ट और सभी कार्यवाहियों को खारिज कर दिया. POCSO जैसे महत्वपूर्ण कानून का दुरुपयोग न केवल निर्दोष लोगों को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि इस कानून की विश्वसनीयता को भी कमजोर करता है.