West Bengal Assembly Election 2021: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और कांग्रेस चुनाव की तैयारी में, 23 नवंबर को कोलकाता में रैली

कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) सोमवार को कोलकाता में एक संयुक्त रैली करने वाले हैं. इसे 2021 विधानसभा चुनाव से पहले दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की दिशा में एक कदम के तौर पर देखा जा रहा है. इस मुद्दे पर हालांकि अनौपचारिक बातचीत जारी है. कांग्रेस के सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी.

West Bengal Assembly Election 2021: कांग्रेस (Congress) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) सोमवार को कोलकाता (Kolkata) में एक संयुक्त रैली करने वाले हैं. इसे 2021 विधानसभा चुनाव से पहले दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की दिशा में एक कदम के तौर पर देखा जा रहा है. इस मुद्दे पर हालांकि अनौपचारिक बातचीत जारी है. कांग्रेस के सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी. पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस समिति (वीबीपीसीसी) (VBPCC) और मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) 23 नवंबर को केंद्र की एनडीए (NDA) सरकार के कथित 'लोक-विरोधी' नीतियों के खिलाफ रैली करेंगे.

भाजपा (BJP) पहले से ही तृणमूल (TMC) को चुनौती देने के लिए कमर कस चुकी है. कांग्रेस और वाम दल को तृणमूल, भाजपा और एआईएमआईएम से चुनौती मिलने वाली है. पार्टी के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा कि दोनों पार्टियां बंगाल में होने वाले विधानसभा में तीसरे राजनीतिक विकल्प के रूप में उभरने के लिए कई जिलों में राजनीतिक कार्यक्रम करेगी. यह भी पढ़े :   Congress Infighting: कपिल सिब्बल के बाद अब चिदंबरम ने बिहार में हार के लिए कांग्रेस नेतृत्व पर उठाए सवाल.

सूत्रों ने कहा, "दोनों दलों ने आगामी विधानसभा चुनावों के लिए रोड मैप तैयार करने के लिए बैठक की है." वहीं माकपा नेता सीताराम येचुरी का कहना है कि तृणमूल और भाजपा को हराना उनकी पार्टी की प्राथमिकता है, क्योंकि वह तृणमूल को ही इस पूर्वी राज्य में भाजपा को प्रवेश करने देने का जिम्मेदार मानते हैं. सूत्रों के अनुसार, दूसरी ओर पश्चिम बंगाल (West Bengal) में एआईएमआईएम (AIMIM) के चुनाव मैदान में उतरने से चुनाव रोचक होने जा रहा है. ऐसी संभावना जताई जा रही है कि इससे भाजपा को फायदा हो सकता है, जैसा कि बिहार चुनाव में देखने को मिला था.

वहीं कुछ दिन पहले कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने एआईएमआईए नेता असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) पर भाजपा को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया था. ओवैसी ने इन आरोपों का खंडन किया था और कहा था कि वह एक राजनीतिक पार्टी चलाते हैं और जहां भी पार्टी की इच्छा होगी, वह चुनाव लड़ेंगे.

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