Digital Arrest: कोलकाता पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट स्कैम के मास्टरमाइंड को दबोचा, 11 गिरफ्तार

साइबर अपराधों के खिलाफ एक बड़े अभियान में पश्चिम बंगाल की कोलकाता पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट घोटाले के मास्टरमाइंड चिराग कपूर को गिरफ्तार किया है. इस घोटाले से जुड़े कुल 11 लोगों को हिरासत में लिया गया है.

Representational Image | Pixabay

कोलकाता: साइबर अपराधों के खिलाफ एक बड़े अभियान में पश्चिम बंगाल की कोलकाता पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट घोटाले के मास्टरमाइंड चिराग कपूर को गिरफ्तार किया है. इस घोटाले से जुड़े कुल 11 लोगों को हिरासत में लिया गया है. पुलिस ने दावा किया है कि इस कार्रवाई से देशभर में 930 से अधिक शिकायतों को सुलझाने में मदद मिली है.

चिराग कपूर, जिसे चिंतक राज के नाम से भी जाना जाता है, बेंगलुरु के जेपी नगर का निवासी है. वह खुद को सॉफ्टवेयर इंजीनियर बताता था और पिछले सात महीनों से गिरफ्तारी से बचता रहा. पुलिस ने गुरुवार सुबह 4:30 बजे उसके घर पर छापा मारकर उसे गिरफ्तार किया.

जांच अधिकारी ने बताया, “आरोपी ने खुद को सॉफ्टवेयर इंजीनियर बताया है, लेकिन उसकी पृष्ठभूमि की जांच की जा रही है.” उसके पास से कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बरामद किए गए हैं, जिन्हें फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा जाएगा.

कैसे सामने आया मामला

यह मामला पिछले साल 17 जून को दर्ज किया गया था, जब कोलकाता साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में देबश्री दत्ता (देबाशी दत्ता) ने शिकायत दर्ज कराई. शिकायतकर्ता को यह कहकर डराया गया था कि उनकी व्यक्तिगत जानकारी और दस्तावेजों का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग और ड्रग्स की तस्करी के लिए किया गया है. उन्हें धमकी दी गई कि अगर वे निर्दोष साबित होना चाहती हैं, तो उन्हें घोटालेबाजों द्वारा बताए गए बैंक खातों में पैसे जमा करने होंगे. देबश्री ने घोटालेबाजों के कहने पर कुल 47 लाख रुपये अलग-अलग खातों में जमा किए.

डिजिटल अरेस्ट घोटाला क्या है?

डिजिटल अरेस्ट एक नई साइबर ठगी है, जहां अपराधी खुद को कानून प्रवर्तन एजेंसियों का प्रतिनिधि बताते हैं. वे पीड़ितों को डराने के लिए दावा करते हैं कि उनकी हर गतिविधि डिजिटल हाउस अरेस्ट के तहत निगरानी में है. यहां तक कि पीड़ितों से कहा जाता है कि वे 24 घंटे ज़ूम कॉल पर जुड़े रहें.

पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने पीड़िता को यह कहकर मानसिक रूप से कमजोर कर दिया कि उनकी गिरफ्तारी कभी भी हो सकती है और उनके परिवार के सदस्यों को भी फंसाया जा सकता है.

पुलिस की कार्रवाई

पुलिस ने घोटाले से जुड़े 7.4 लाख रुपये का पता लगाया, जो एक फर्जी खाते में जमा किए गए थे. इस खाते का संचालन उमा बर्नी, ब्रेन बर्स्ट रोबोटिक्स की मालिक, कर रही थीं. 29 सितंबर को कोलकाता के आनंदपुर, पटुली, और नरेंद्रपुर इलाकों में छापेमारी के दौरान आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया.

पुलिस ने एक अस्थायी ऑफिस का भी पता लगाया, जहां से फर्जी बैंक खाते और पहचान पत्र बनाए जाते थे. यहां से 104 पासबुक/चेकबुक, 61 मोबाइल फोन, 33 डेबिट कार्ड, 140 सिम कार्ड, और 40 सील बरामद की गईं.

मास्टरमाइंड का नेटवर्क

चिराग कपूर, जिसे इस ऑपरेशन का "सीईओ" कहा जा रहा है उसने पूरे नेटवर्क को एजेंट्स के जरिए चलाया. उसने खुद को निगरानी से बचाने के लिए सारा काम अपने एजेंट्स को सौंप रखा था.

एक अन्य आरोपी, जो फर्जी खाते बेचने में शामिल था, को 26 अक्टूबर को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया. लेकिन चिराग कपूर को पकड़ने में पुलिस को गुरुवार तक का समय लगा. पुलिस ने कपूर के पास से कई अहम वस्तुएं जब्त कीं, जिनमें राउटर, हार्ड डिस्क, लैपटॉप, मोबाइल फोन, सिम कार्ड, पैन कार्ड, चेकबुक, और अलग-अलग कंपनियों के नाम की सीलें शामिल हैं.

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