Bihar Politics: बिहार में नीतीश कुमार-तेजस्वी यादव को मात देने में जुटी बीजेपी, बनाई ये रणनीति!

बिहार में एकबार फिर 'पलटीमार' कर नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ पहुंच गए और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एक झटके में सरकार से बाहर हो गई.नीतीश आठवीं बार मुख्यमंत्री के पद की शपथ ली तो राजद के नेता तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री बने

नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव , बीजेपी (Photo Credits ANI/PTI)

Bihar Politics: बिहार में एकबार फिर 'पलटीमार' कर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) महागठबंधन के साथ पहुंच गए और भारतीय जनता पार्टी (BJP) एक झटके में सरकार से बाहर हो गई.नीतीश आठवीं बार मुख्यमंत्री के पद की शपथ ली तो राजद के नेता तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री बने. राजद के कंघे पर सवार होकर नीतीश एकबार फिर से भले ही मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गए हों, लेकिन भाजपा (BJP) ने भी नीतीश और तेजस्वी को कड़ी टक्कर देने के लिए रणनीति पर काम प्रारंभ कर दिया है.

वैसे, सरकार से बाहर होने की मायूसी भाजपा के नेताओं को जरूर है लेकिन इस बात की प्रसóता भी है कि अब भाजपा बिहार की सियासत की पिच पर खुलकर बैटिंग कर सकेगी. कार्यकर्ता यही मान रहे थे कि नीतीश कुमार के कारण पार्टी बिहार में खड़ी नहीं हो पा रही थी. यह भी पढ़े: सुशील मोदी का यह दावा ‘बकवास’ कि मैं उपराष्ट्रपति बनना चाहता था: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

भाजपा ने नीतीश कुमार के महागठबंधन के साथ जाने के बाद से ही जदयू और राजद के किले को ध्वस्त करने को लेकर रणनीति बनाने लगी थी। भाजपा ने दो दिनों के अंदर जहां कोर कमिटि की बैठक की वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने सांसदों और विधायकों के साथ भी बैठकर विचार किया.

कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार की स्वीकार्यता बिहार में कम हुई है, इस कारण नीतीश को मात देने भाजपा आसान मान रही है. भाजपा के एक नेता कहते भी हैं कि नीतीश के प्रशंसकों में भारी कमी आई है। जिस प्रकार पिछले चुनाव में भी देखने को मिला था कि कई स्थानों पर नीतीश कुमार को विरोध का सामना करना पड़ा था.

भाजपा के सूत्रों का कहना है कि भाजपा संगठनात्मक रूप से किसी भी राजनीतिक पार्टी से मजबूत है। ऐसे में वह बूथस्तर तक नीतीश की 'पलटीमार' छवि को भुनाने की कोशिश में जुट गई है. यहीं कारण है कि प्रथम चरण में जदयू के विश्वासघात को लेकर जिला से लेकर प्रखंड मुख्यालय तक महाधरना का आयोजन किया गया है.

सूत्र बताते हैं कि भाजपा के नेता और कार्यकर्ता राजद के जंगलराज और भ्रष्टाचार की छवि को भी फिर से उभारकर लोगों के बीच जाएंगे. भाजपा के साथ सरकार के बीच भी बिहार में नीतीश कुमार अपराध पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हुए और प्रशासनिक भ्रष्टाचार बहुत ज्यादा बढ़ गया था। शराबबंदी का उनका कार्यक्रम भी भ्रष्टाचार की एक बड़ी वजह बनकर उभरा है। भाजपा को लगता है कि इन्हीं मुद्दों के सहारे वह नीतीश कुमार की छवि को तोड़ सकती है।

इसके अलावा भाजपा अपने सामाजिक समीकरण को भी दुरूस्त करने में जुटेगी.भाजपा मानती है कि तेजस्वी के राजद के सर्वेसर्वा नेता के रूप में उभरने के बाद राजद के वोट बैंक यादव और मुस्लिम पर पकड़ कमजोर हुई है.

जदयू से बाहर किए गए पूर्व केंद्रीय मंत्री आर सी पी सिंह के भाजपा में आने के बाद जदयू के वोट बैंक में भी सेंध लगाया जा सकता है जबकि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान यदि भाजपाई खेमे में लौट आते हैं, तो इससे वे दलितों के बीच पकड़ बनाने में अच्छी मदद कर सकते हैं।

ब्हरहाल, भाजपा अब विपक्ष में बैठकर बिहार की सियासत में खुलकर बैटिंग करने के मूड में है और नीतीश के राजग से बाहर जाने के बाद भाजपा के कार्यकर्ता भी उत्साहित है। ऐसे में अब देखने वाली बात होंगी कि भाजपा इन राणनीतियों को जमीन पर कैसे उतारती है।

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