PMC बैंक के बाद आरबीआई ने लक्ष्मी विलास बैंक पर की कड़ी कार्रवाई, डे टू डे ट्रांजेक्शन पर नहीं पड़ेगा कोई असर
पीएमसी में वित्तीय गड़बड़ियों की वजह से लेनदेन पर प्रतिबंध लगाने के बाद अब आरबीआई ने प्राइवेट सेक्टर के लक्ष्मी विलास बैंक पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उसे प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन फ्रेमवर्क में डाल दिया है.
पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (PMC Bank) के बाद अब रिजर्व बैंक (RBI) ने लक्ष्मी विलास बैंक (Lakshmi Vilas Bank) पर भी कई पाबंदियां लगा दी हैं. पीएमसी में वित्तीय गड़बड़ियों की वजह से लेनदेन पर प्रतिबंध लगाने के बाद अब आरबीआई ने प्राइवेट सेक्टर के लक्ष्मी विलास बैंक पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उसे प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (PCA) फ्रेमवर्क में डाल दिया है. आरबीआई की इस कार्रवाई के बाद लक्ष्मी विलास बैंक न तो नए कर्ज दे सकता है और न ही नई ब्रांच खोल सकता है. आरबीआई ने यह कार्रवाई बैड लोन के बढ़ते उच्च स्तर, दो लगातार साल से संपत्तियों पर नुकसान और बड़ी संख्या में फंसे लोन अमाउंट को देखते हुए की है.
पीसीए के तहत लक्ष्मी निवास बैंक पर कर्ज देने, नई शाखाएं खोलने और लाभांश का भुगतान करने पर रोक लग गयी है. बैंक को चुनिंदा क्षेत्रों को दिए कर्ज में कमी लाने पर भी काम करना होगा. आरबीआई जब किसी बैंक को पीसीए फ्रेमवर्क में तब डालता है जब लगता है कि बैंक को आय नहीं हो रही है या फिर नॉन परफॉर्मिंग एसेट यानी एनपीए बढ़ रहा है. इससे पहले कार्रवाई करते हुए आरबीआई ने पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक की कई सेवाओं पर अगले 6 महीने तक के लिए पाबंदी लगाईं थी.
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रिपोर्ट के मुताबिक लक्ष्मी विलास बैंक पर कथित फर्जीवाड़े का आरोप है. दिल्ली पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW) ने लक्ष्मी विलास बैंक के खिलाफ FIR दर्ज की है. इस मामले में पुलिस बैंक के बोर्ड में शामिल डायरेक्टर्स के खिलाफ लगे आरोपों की जांच कर रही है. रैलिगेयर फिन्वेस्ट लिमिटेड (RFL) ने आरोप लगाया है, कि बैंक ने RFL के 790 करोड़ रुपये के एफडी में हेराफेरी की है. दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा बैंक के बोर्ड में शामिल निदेशकों के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात के आरोपों की जांच कर रही है.
बैंक पर आरबीआई की सख्त कार्रवाई से खाताधारकों को भी भी चिंता सताने लगी है, लेकिन इस बीच बैंक ने खाताधारकों को आश्वस्त करते हुए शुक्रवार को एक बयान में कहा, "सुधारात्मक कार्रवाई का उद्देश्य बैंक के प्रदर्शन में सुधार करना है. इससे बैंक के डे टू डे ट्रांजेक्शन और स्वीकृति या पुनर्भुगतान भी किसी भी तरह का असर नहीं पड़ेगा.