Yamla Pagla Deewana Phir Se Review : 'देओल परिवार' की यह फिल्म हंसाने में हुई नाकामयाब, कहानी ने भी नहीं छोड़ी छाप
देओल परिवार एक बार फिर 'यमला पगला दीवाना' सीरीज के साथ लौट आया है. इस सीरीज के पहले पार्ट ने दर्शकों को खूब एंटरटेन किया था.
देओल परिवार एक बार फिर 'यमला पगला दीवाना' सीरीज के साथ लौट आया है. इस सीरीज के पहले पार्ट ने दर्शकों को खूब एंटरटेन किया था. दूसरा पार्ट भी ऑडियंस को हंसाने में सफल हुआ था. अब इसके तीसरे पार्ट का भी बेसब्री से इंतजार किया जा रहा था. आज 'यमला पगला दीवाना फिर से' रिलीज तो होने जा रही है पर इस बार न तो इस फिल्म में दीवानगी है और न ही पागलपन है. दर्शकों को हंसाना एक कला मानी जाती है और इसलिए कॉमेडी फिल्म्स बनाना भी एक कठिन कार्य होता है. फिल्म में इस्तेमाल किए गए जोक्स और पंच्स ऐसे होने चाहिए जिन पर लोगों को हंसी आए. अफसोस यह फिल्म ऐसा करने में नाकामयाब साबित होती है.
कहानी : - फिल्म की शुरुआत में दिखाया जाता है कि पूरण (सनी देओल) को आयुर्वेद का बहुत ज्ञान है. उनके पास वज्रकवच नामक एक जड़ी बूटी बनाने का तरीका है और यह जड़ी बूटी वो ही बना सकते हैं. इस जड़ी बूटी से सबकी बीमारियां ठीक हो जाती है. लेकिन बड़ी से बड़ी फार्मास्यूटिकल कम्पनीज इस जड़ी बूटी को बनाने का तरीका जानना चाहती हैं. काला (बॉबी देओल) पूरण का भाई है. काला की ही मदद से मार्फतिया नामक एक दवा कंपनी का मालिक पूरण से इस जड़ी बूटी का सौदा करने आता है पर पूरण उसे मारकर वहां से भगा देता है. परमार (धर्मेंद्र) पूरण और काला के घर में लम्बे समय से किरायदार के रूप में रह रहा है. वह किराये के रूप में उन्हें मात्र 115 रुपये देता है. उसने इन दोनों के घर के एक हिस्से पर कब्ज़ा कर रखा है. इस बात को लेकर कोर्ट में एक मुकदमा भी चल रहा है. चीकू (कृति खरबंदा) पूरण के पास आयुर्वेद पर रिसर्च करने आती हैं. काला चीकू को पसंद करने लगता है. पहले हाफ के अंत में कहानी को एक साधारण सा ट्विस्ट दिया जाता है. फिल्म का पहला हाफ काफी स्लो साबित होता है. दूसरे हाफ के अंत में कुछ सीन्स आपको हंसाने में जरुर सफल होंगे.
निर्देशन : नवनीत सिंह का डायरेक्शन काफी कमजोर है. जब आपके पास सनी देओल और धर्मेंद्र जैसे मंझे हुए कलाकार हो तो उनकी प्रतिभा का सही ढंग से इस्तेमाल किया जाना चाहिए. नवनीत सिंह की इस कॉमेडी फिल्म में कुछ गिने चुने सीन्स ही ऐसे हैं जिन पर दर्शक दिल खोलकर हंस सकते हैं. इन दृश्यों को छोड़ दिया जाए तो यह फिल्म निराश ही करती है.
अभिनय : धर्मेंद्र, सनी देओल, बॉबी देओल और कृति खरबंदा का अभिनय काफी अच्छा है. इन सभी ने अपने किरदारों को बखूबी निभाया है. सनी देओल एक बार फिर से इस फिल्म में अपने टिपिकल एक्शन सीन्स करते हुए नजर आते हैं. धर्मेंद्र के कुछ डायलॉग्स पर आपको खूब हंसी आएगी. इसके अलावा फिल्म में शत्रुघ्न सिन्हा, सलमान खान, रेखा और सोनाक्षी सिन्हा जैसे सितारों का कैमियो भी है.
म्यूजिक: - फिल्म का म्यूजिक काफी साधारण है. सिर्फ 'नजरबट्टू' नामक एक गाना आप सबको पसंद आ सकता है. 'यमला पगला दीवाना फिर से' का बैकग्राउंड स्कोर भी काफी फीका साबित होता है.
फिल्म की खूबियां : -
1. दूसरे हाफ का कोर्ट रूम ड्रामा
2.सनी देओल के टिपिकल एक्शन सीन्स
फिल्म की खामियां : -
1. कमजोर कहानी
2. साधारण जोक्स
3. फीका म्यूजिक
कितने स्टार्स ?
यह फिल्म एंटरटेन करने में असफल साबित होती है. इस फिल्म को हम 1.5 स्टार्स देना चाहेंगे.