मुंबई, 30 अगस्त ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि सभी खेलों में भारतीय खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर कार्य अभी प्रगति पर है और कहा कि इसका लाभ जमीनी स्तर तक मिलना चाहिए।
बिंद्रा ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य सीधे तौर पर एक खिलाड़ी के समग्र स्वास्थ्य को प्रभावित करता है और खेल प्रशासक भी इसमें समान जिम्मेदारी निभाते हैं।
उन्होंने वर्चुअल बातचीत में पत्रकारों से कहा,‘‘यह एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर अभी कार्य प्रगति पर है और हम सभी इसे स्वीकार करते हैं। हमारे खेल का पारिस्थितिकी तंत्र अभी विकसित हो रहा है। यह धीरे-धीरे परिपक्व हो रहा है।’’
बिंद्रा ने कहा,‘‘ यह एक ऐसा पहलू है जो न केवल निशानेबाज बल्कि सभी खेलों के खिलाड़ियों के लिए महत्वपूर्ण है और इसे प्राथमिकता देने की जरूरत है। यह एक ऐसा पहलू है जिसका खिलाड़ी के प्रदर्शन पर सीधा प्रभाव पड़ता है।’’
बीजिंग ओलंपिक 2008 के स्वर्ण पदक विजेता ने कहा, ‘‘खेल संगठनों और संचालन कार्यों से जुड़े लोगों को यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे खिलाड़ियों को इसका लाभ मिले और वह अच्छा प्रदर्शन करें।’’
बिंद्रा ने पेरिस ओलंपिक में भारतीय दल के साथ एक मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की मौजूदगी को सही दिशा में उठाया गया कदम बताया।
उन्होंने कहा,‘‘हमने पेरिस ओलंपिक में इस क्षेत्र में प्रगति देखी। यह पहला अवसर था जबकि भारतीय टीम के साथ मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ था। कुछ चीज अच्छी हो रही हैं लेकिन हमें तेजी से प्रगति करने की जरूरत है ताकि इसका लाभ जमीनी स्तर तक मिल सके।’’
बिंद्रा ने इस धारणा को खारिज कर दिया कि वर्तमान समय के खिलाड़ी अतीत के खिलाड़ियों की तुलना में नरम रवैया अपनाते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बात से पूरी तरह से असहमत हूं। अगर इस धारणा पर विश्वास किया जाए तो फिर नरम लोग सख्त लोगों की तुलना में अधिक जीत हासिल कर रहे हैं क्योंकि हमारे परिणाम और हमारा इतिहास हमें यही बताता है।’’
बिंद्रा ने खुलासा किया कि 2008 में ओलंपिक स्वर्ण जीतने के बाद निशानेबाजी छोड़ने की योजना बनाते समय ध्यान लगाने की प्रक्रिया से उन्हें मदद मिली।
उन्होंने कहा,,‘‘जब मैंने ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता, तो मेरी ऊर्जा पूरी तरह से खत्म हो गई थी। मैं शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक रूप से थक गया था। मुझे खुद को फिर से ऊर्जावान बनाने की जरूरत थी और यह आसान नहीं था।’’
बिंद्रा ने कहा,‘‘मैंने विपश्यना ध्यान का कोर्स करने का फैसला किया। यह दिलचस्प था क्योंकि मैं वास्तव में खेल छोड़ना चाहता था और नई दिशा में आगे बढ़ना चाहता था। ’’
उन्होंने कहा,‘‘मुझे 10 दिनों तक पूरी तरह से मौन रहकर प्रतिदिन आठ नौ घंटे ध्यान लगाना था और उस दौरान मैंने बस अपने खेल के बारे में सोचा। मैंने सोचा कि मैं जो कर रहा था उसकी प्रक्रिया मुझे कितनी पसंद थी।’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)