कुछ ज्वालामुखी हमेशा लावा क्यों उगलते रहते हैं?
आइसलैंड के रेयकिनस प्रायद्वीप पर रहने वालों के लिए ज्वालामुखी विस्फोट लगातार खतरा बना हुआ है.
आइसलैंड के रेयकिनस प्रायद्वीप पर रहने वालों के लिए ज्वालामुखी विस्फोट लगातार खतरा बना हुआ है. माउंट एटना और हवाई द्वीप पर किलोवेया ज्वालामुखी भी उतना ही सक्रिय है. आखिर कुछ ज्वालामुखियों में विस्फोट क्यों होता रहता है?जब आकाश नारंगी हो जाता है, तो यह देखने में शानदार लगता है, लेकिन कभी-कभी भयानक भी. आइसलैंड के तटीय शहर ग्रिंडाविक में रहने वाले लोगों के लिए यह अनुभव सामान्य सी बात है.
इसकी वजह है कि उन्हें देश के रेयकिनस प्रायद्वीप पर मौजूद फगरादाल्सफियाल ज्वालामुखी से लगभग हमेशा खतरे का सामना करना पड़ता है. ज्वालामुखी में हालिया विस्फोट के बाद भी ग्रिंडाविक के निवासी उम्मीद कर रहे हैं कि उनके घरों को कुछ नहीं होगा, क्योंकि लावा का बहाव विपरीत दिशा में हो रहा है.
18 दिसंबर, 2023 को राजधानी रेक्याविक से करीब 50 किलोमीटर दक्षिण में और फगरादाल्सफियाल के पश्चिम में ग्रिंडाविक शहर के पास ज्वालामुखी विस्फोट हुआ. यहां कई हफ्तों से भूकंपीय-गतिविधि जारी थी और संकेत दे रही थी कि ज्वालामुखी फटने ही वाला है. विस्फोट के बाद हवा में 100 मीटर से अधिक ऊंचाई तक धुआं और लावा फैल गया. धरती में लंबी दरारें पड़ गईं, मैग्मा निकला और रात के आसमान की रंगत नारंगी हो गई.
करीब एक महीने पहले, नवंबर में धरती के क्रस्ट के नीचे मैग्मा के बहने से ग्रिंडाविक के आस-पास सैकड़ों बार भूकंप आए. भूकंप विज्ञानियों ने तब चेतावनी दी थी कि इससे ज्वालामुखी विस्फोट का संकेत मिल रहा है. इस वजह से ग्रिंडाविक के करीब 4,000 लोगों को पहले ही सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया था.
दरअसल, आइसलैंड यूरेशियन और उत्तरी अमेरिकी टेक्टोनिक प्लेटों के बीच स्थित है. दोनों प्लेटें एक-दूसरे के विपरीत दिशा में खिसकती रहती हैं, इसलिए यह भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट का सक्रिय हॉटस्पॉट है.
हर साल कितने ज्वालामुखी विस्फोट होते हैं?
स्मिथसोनियन इंस्टिट्यूशन के ग्लोबल वोल्केनिजम प्रोग्राम का डेटा संकेत देता है कि 2023 में 69 अलग-अलग ज्वालामुखियों से 72 विस्फोटों की पुष्टि हुई. इनमें 22 नए विस्फोट थे, जो 2023 में ही शुरू हुए थे. हालांकि ज्वालामुखी विस्फोट की खबरें अक्सर तब सुर्खियों में आती हैं, जब बड़े स्तर पर विस्फोट होते हैं. जैसे एटना, किलोवेया, मौना लोआ, मरापी वगैरह.
दुनिया भर में हर साल किसी भी समय पर 80 से ज्यादा नए विस्फोट हो सकते हैं. ग्लोबल वोल्केनिजम प्रोग्राम ने 15 दिसंबर, 2023 को 47 सक्रिय विस्फोटों की गिनती की.
ज्वालामुखी क्या है?
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ज्वालामुखी को बेहतर तरीके से परिभाषित करता है. इसके मुताबिक, ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह पर ऐसी खुली जगहें या सुराख हैं, जहां से लावा, टेफ्रा (छोटी चट्टानें), और भाप बाहर निकलते हैं.
ज्वालामुखी समुद्र और जमीन, दोनों जगहों पर हो सकते हैं. इनका निर्माण इनके अंदर होने वाले विस्फोट की वजह से होता है. हालांकि, कुछ ज्वालामुखी का निर्माण धरती की संरचना की वजह से भी हुआ है, क्योंकि टेक्टोनिक प्लेटें खिसकती रहती हैं. दक्षिण अमेरिका में एंडीज और उत्तरी अमेरिका में रॉकीज जैसी पर्वत शृंखलाओं के साथ-साथ कई ज्वालामुखी, टेक्टोनिक प्लेटों के खिसकने और आपस में टकराने की वजह से बने हैं.
ज्वालामुखी मुख्य रूप से चार तरह के होते हैं: सिंडर कोन्स, कंपोजिट या स्ट्रैटोवोल्केनो, शील्ड वोल्केनो और लावा डोम. ज्वालामुखी किस तरह के हैं, ये इस बात से तय होता है कि किसी ज्वालामुखी से लावा कैसे बहता है और वह बहाव ज्वालामुखी और आस-पास के इलाके को किस तरह प्रभावित करता है.
ज्वालामुखी में विस्फोट कैसे होता है?
मूल रूप से यह प्रक्रिया पृथ्वी की सतह के नीचे मौजूद मैग्मा या पिघली हुई चट्टान से जुड़ी है. जिस तरह किसी बर्तन में उबल रहा दूध धीरे-धीरे बर्तन के बाहर निकलकर फैलने लगता है, ठीक उसी तरह पृथ्वी के नीचे पिघल रहा मैग्मा ज्वालामुखी के रास्ते धरती की सतह पर फैलने लगता है. मैग्मा ज्वालामुखी के छिद्रों तक अपना रास्ता खोज लेता है. ज्वालामुखी के रास्ते धरती पर फैलने वाले मैग्मा को लावा कहते हैं.
पैसिफिक रिंग ऑफ फायर
दुनिया के कुछ सबसे सक्रिय ज्वालामुखी प्रशांत क्षेत्र के पैसिफिक रिंग ऑफ फायर में स्थित हैं. इसमें न्यूजीलैंड, दक्षिण-पूर्व एशिया, जापान, और अमेरिका के पश्चिमी तट शामिल हैं. दुनिया भर में लगभग 90 फीसदी भूकंप इसी क्षेत्र में आते हैं.
ज्वालामुखी फटने की भविष्यवाणी हो सकती है?
वैज्ञानिक कुछ घंटे पहले या कभी-कभी कई दिन पहले ही ज्वालामुखी विस्फोट की भविष्यवाणी कर देते हैं. हालांकि, भूकंप के मामले में ऐसा नहीं है. भूकंप की भविष्यवाणी करना काफी कठिन होता है. ज्वालामुखी की भविष्यवाणी करने के लिए वैज्ञानिक, भूकंप और अन्य झटकों के भूकंपीय डेटा का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि ये डेटा ज्वालामुखी विस्फोट का पहले ही संकेत दे देते हैं.
वैज्ञानिक जमीन में पड़ने वाली दरारों की निगरानी भी करते हैं, जो मैग्मा की गति की वजह से हो सकते हैं. वो ज्वालामुखी से निकलने वाली गैस, गुरुत्वाकर्षण और चुंबकीय क्षेत्र में बदलाव से जुड़े डेटा का भी विश्लेषण करते हैं. ज्वालामुखी के भीतरी हिस्सों में होने वाली मैग्मा की गड़गड़ाहटें विस्फोट की चेतावनी दे सकती हैं.
सबसे चर्चित ज्वालामुखी विस्फोट
अमेरिका के हवाई द्वीप पर किलोवेया ज्वालामुखी में हुआ विस्फोट सबसे लंबे विस्फोटों में से एक है. इससे मैग्मा निकलने का सिलसिला 1983 में शुरू हुआ था और 2018 तक लगातार 35 वर्षों तक जारी रहा. इसके बाद 2021 में इससे फिर से मैग्मा निकलना शुरू हुआ और इसमें होने वाला विस्फोट अब भी जारी है.
इंडोनेशिया के डुकानो में अगस्त 1933 में विस्फोट हुआ था और यह अब भी जारी है. इसी तरह ग्वाटेमाला के सांता मारिया में जून 1922 में विस्फोट शुरू हुआ था और यह आज तक जारी है.
वानुआतु के यासुर में पहली बार सन 1270 के आस-पास पहला विस्फोट हुआ था और 9 जून, 2023 तक इसमें विस्फोट होता रहा. वहीं, माउंट एटना यूरोप का सबसे सक्रिय ज्वालामुखी है. यह दुनिया के सबसे बड़े ज्वालामुखियों में से एक है. इसमें 1,500 ईसा पूर्व से ही विस्फोट हो रहे हैं और तब से लेकर आज तक यह 200 से अधिक बार फूट चुका है.