देश की खबरें | वांगचुक ने अनशन समाप्त किया; गृह मंत्रालय तीन दिसंबर को लद्दाख के समूहों के साथ वार्ता शुरू करेगा
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक समेत अन्य ने सोमवार को अपना अनशन समाप्त कर दिया। गृह मंत्रालय ने उन्हें आश्वासन दिया कि लद्दाख की मांगों पर बातचीत दिसंबर में फिर से शुरू की जाएगी।
नयी दिल्ली, 21 अक्टूबर जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक समेत अन्य ने सोमवार को अपना अनशन समाप्त कर दिया। गृह मंत्रालय ने उन्हें आश्वासन दिया कि लद्दाख की मांगों पर बातचीत दिसंबर में फिर से शुरू की जाएगी।
मंत्रालय में संयुक्त सचिव (जम्मू कश्मीर और लद्दाख) प्रशांत लोखंडे ने कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और उन्हें गृह मंत्रालय का एक पत्र सौंपा। कार्यकर्ता छह अक्टूबर से दिल्ली के लद्दाख भवन में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे थे।
पत्र में कहा गया कि लद्दाख के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर रही मंत्रालय की उच्चाधिकार प्राप्त समिति अगली बैठक तीन दिसंबर को करेगी। इसके बाद वांगचुक और उनके समर्थकों ने अपना अनशन तोड़ने का फैसला किया।
वांगचुक ने कहा, ‘‘हमारे अनशन के 16वें दिन मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हमारी मुख्य अपील का समाधान हो गया है। गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव लद्दाख भवन में आए और उन्होंने मुझे पत्र सौंपा, जिसमें कहा गया है कि ‘लेह एपेक्स बॉडी’, कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के साथ केंद्र सरकार की बातचीत दिसंबर तक फिर से शुरू हो जाएगी।’’
उन्होंने उम्मीद जताई कि मंत्रालय और ‘लेह एपेक्स बॉडी’ तथा कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस, लद्दाख के दोनों क्षेत्रों के दो सामाजिक-राजनीतिक संगठनों के बीच बातचीत के नतीजे सकारात्मक होंगे। उन्होंने कहा, ‘‘इन संगठनों द्वारा बातचीत की जाएगी और मुझे उम्मीद है कि न केवल लद्दाख के लिए बल्कि पूरे देश के लिए बहुत अच्छे नतीजे आएंगे।’’
वांगचुक ने कहा, ‘‘मैं बस यही उम्मीद करता हूं कि मुझे इस कारण से फिर कभी अनशन नहीं करना पड़ेगा और इसका परिणाम बहुत सुखद होगा। मैं इस अवसर पर उन सभी लोगों का धन्यवाद करना चाहता हूं जिन्होंने इस प्रयास में हमारा साथ दिया।’’
लद्दाख बौद्ध संघ (एलबीए) के अध्यक्ष चेरिंग दोरजय लकरुक ने वांगचुक और अन्य लोगों का धन्यवाद किया जिन्होंने रुकी हुई वार्ता को फिर से शुरू करने के लिए मार्च निकाला। उन्होंने कहा, ‘‘अब बातचीत फिर से शुरू होगी। अभी तक हमें कुछ हासिल नहीं हुआ है। हमें उम्मीद है कि हमारी चार सूत्री मांगों पर बातचीत सार्थक होगी।’’
लद्दाख के सांसद मोहम्मद हनीफा ने भी उम्मीद जताई कि बातचीत का कोई सार्थक नतीजा निकलेगा। उन्होंने कहा ‘‘हमें प्रदर्शन करना पड़ा क्योंकि (लोकसभा) चुनाव के बाद भी बातचीत फिर से शुरू नहीं हुई थी। हम खुश हैं कि बातचीत फिर से शुरू हो रही है और उम्मीद है कि समाधान मिलने तक यह जारी रहेगी। हनीफा ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि सरकार इन वार्ताओं को गंभीरता से लेगी और हमारे मुद्दों का समाधान होगा।’’
वांगचुक अपने समर्थकों के साथ लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर लेह से दिल्ली तक मार्च निकाला। वे एक महीने तक पैदल चलने के बाद 30 सितंबर को राष्ट्रीय राजधानी पहुंचे। उन्हें दिल्ली पुलिस ने राजधानी के सिंघू बॉर्डर पर हिरासत में लिया और दो अक्टूबर की रात को रिहा कर दिया।
वांगचुक लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर दबाव बनाने तथा सरकार के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात कर इस मुद्दे को उठाने के लिए छह अक्टूबर को अनशन पर बैठे थे।
संविधान की छठी अनुसूची में पूर्वोत्तर के असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन के लिए प्रावधान शामिल हैं। इसके तहत स्वायत्त परिषदों की स्थापना होती है जिनके पास इन क्षेत्रों पर स्वतंत्र रूप से शासन करने के लिए विधायी, न्यायिक, कार्यकारी और वित्तीय शक्तियां हैं।
प्रदर्शनकारी राज्य का दर्जा, लद्दाख के लिए लोक सेवा आयोग और लेह तथा कारगिल जिलों के लिए अलग लोकसभा सीटों की भी मांग कर रहे हैं। दिल्ली तक मार्च का आयोजन ‘लेह एपेक्स बॉडी’ ने किया था, जो ‘कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस’ के साथ मिलकर आंदोलन का नेतृत्व कर रही है।
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