पश्चिम बंगाल: विधानसभा चुनाव से पहले नेताजी की विरासत को लेकर तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी में मची होड़, कई कार्यक्रमों का किया गया आयोजन
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की विरासत को लेकर तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के बीच शनिवार को होड़ मच गई. मौका था नेताजी के 125वीं जयंती का और दोनों ने इसका राजनीतिक फायदा लेने के लिए राज्य भर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया. पार्टी के कई नेताओं के बीजेपी में शामिल होने से उसकी रणनीति को और बल ही मिला है.
कोलकाता, 24 जनवरी: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) की विरासत को लेकर तृणमूल कांग्रेस (Congress) और बीजेपी (BJP) के बीच शनिवार को होड़ मच गई. मौका था नेताजी के 125वीं जयंती का और दोनों ने इसका राजनीतिक फायदा लेने के लिए राज्य भर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया. तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख एवं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता (Kolkata) में नेताजी की जयंती पर एक भव्य जुलूस निकाला और उनकी पार्टी ने देश नायक दिवस मनाया तो वहीं बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व में स्वतंत्रता सेनानी की जयंती मनाने के वास्ते पराक्रम दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया. प्रधानमंत्री की उपस्थिति के कारण विक्टोरिया मेमोरियल में आयोजित कार्यक्रम खास तो बन गया लेकिन ममता बनर्जी की उपस्थिति के कारण रंग में भंग पड़ गया.
यह उस समय हुआ जब मुख्यमंत्री को संबोधन के लिए आमंत्रित किया गया. इसी बीच वहां मौजूद कुछ उत्साही लोगों ने जय श्री राम के नारे लगाए और इससे बनर्जी उखड़ गई और इसे अपना अपमान बताते हुए वह मंच से नीचे चली आई. बनर्जी ने कहा कि कि ऐसा अपमान अस्वीकार्य है. उन्होंने कहा, "यह एक सरकारी कार्यक्रम है, कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं. एक गरिमा होनी चाहिए. किसी को लोगों को आमंत्रित करके अपमानित करना शोभा नहीं देता. मैं नहीं बोलूंगी. जय बंगला, जय हिंद." हालांकि इस दौरान प्रधानमंत्री चुपचाप रहे और उन्होंने कार्यक्रम के अनुसार अपना संबोधन पूरा किया और बंगाल के लोगों को आजादी के आंदोलन में नेताजी के योगदान की याद दिलाई और एहसास कराने की कोशिश की कि उनकी सरकार उनके आदर्शों पर चलते हुए आत्मनिर्भर और सशक्त भारत की परिकल्पना को पूरा करने की कोशिशों में जुटी हुई है.
इससे पहले, नेताजी के पैतृक घर पर बोस को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, बनर्जी ने योजना आयोग को समाप्त करने के लिए केंद्र की आलोचना की, जो उनके अनुसार, नेताजी की अवधारणा थी. बनर्जी ने नेताजी भवन में अपने भाषण में कहा, "स्वतंत्र भारत में नेताजी द्वारा परिकल्पित राष्ट्रीय योजना आयोग को क्यों भंग कर दिया गया? हमारी सरकार द्वारा नेताजी के जन्मदिन पर राष्ट्रीय अवकाश की मांग क्यों पूरी नहीं की गई?" योजना आयोग की स्थापना मार्च, 1950 में की गई थी. केन्द्र की मोदी सरकार ने 2014 में इसे भंग कर दिया था और नीति आयोग का गठन किया था.
बनर्जी ने कहा कि वह प्रधानमंत्री से पूछेंगी कि योजना आयोग की जगह नीति आयोग क्यों लाया गया. प्रधानमंत्री मोदी ने बोस को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी और कहा कि एक कृतज्ञ राष्ट्र हमेशा उसकी स्वतंत्रता के लिए उनके बलिदान और समर्पण को याद रखेगा. प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, "महान स्वतंत्रता सेनानी और भारत माता के सच्चे सपूत, नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि." इस बीच बीजेपी ने नेताजी की जयंती मनाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी. बीजेपी ने पराक्रम दिवस मनाने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किये.
मुख्यमंत्री बनर्जी ने आरोप लगाया कि केन्द्र ने नेताजी की जयंती को ‘देश नायक दिवस’ के रूप में मनाने की उनकी सरकार की मांग को पूरा नहीं किया. वहीं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, "हमें उनसे (ममता बनर्जी) सीखने की जरूरत नहीं है कि इस दिन को कैसे मनाया जाये." इसी साल राज्य में विधानसभा के चुनाव होने हैं. तृणमूल कांग्रेस जहां ममता बनर्जी के नेतृत्व में राज्य की सत्ता में वापसी करने की कोशिश कर रही है वहीं बीजेपी उन्हें सत्ता से हटाने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को राज्य की 42 में से 18 सीटों पर मिली जीत ने उसका उत्साह और बढ़ा दिया है. इसके ऊपर ममता सरकार के कई मंत्री और पार्टी के कई नेताओं के बीजेपी में शामिल होने से उसकी रणनीति को और बल ही मिला है.
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)