देश की खबरें | शीर्ष अदालत ने धोखाधड़ी मामले में विदेशी नागरिक के खिलाफ प्राथमिकी खारिज की

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने एक विदेशी नागरिक के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी बृहस्पतिवार को खारिज कर दी, जिसने एक कंपनी को एक विकास परियोजना को लेकर नौ करोड़ रुपये का भुगतान करने में कथित रूप से चूक की थी।

नयी दिल्ली, दो जनवरी उच्चतम न्यायालय ने एक विदेशी नागरिक के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी बृहस्पतिवार को खारिज कर दी, जिसने एक कंपनी को एक विकास परियोजना को लेकर नौ करोड़ रुपये का भुगतान करने में कथित रूप से चूक की थी।

न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अगस्त 2020 के फैसले को निरस्त कर दिया, जिसमें विदेशी नागरिक को राहत देने से इनकार कर दिया गया था और कहा कि प्राथमिकी में किम वानसू के खिलाफ आरोप अस्पष्ट हैं।

न्यायालय ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में मुकदमा चलाया जाना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा तथा इसमें हस्तक्षेप न करने का परिणाम यह होगा कि मामले में न्याय नहीं हो पाएगा।

मेरठ थाने में दर्ज प्राथमिकी को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने आगे की कार्यवाही रद्द कर दी।

यह आरोप लगाया गया था कि हुंदै इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन इंडिया एलएलपी के परियोजना प्रबंधक वानसू और अन्य आरोपियों ने एक परियोजना के लिए श्रमशक्ति प्राप्त करने के लिए कंपनी और एक अन्य उप-ठेकेदार के बीच हुए समझौते के बाद भुगतान नहीं करने के लिए मिलीभगत की थी।

हुंदै मोटर इंडिया लिमिटेड ने परियोजना के निर्माण और विकास का ठेका हुंदै इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन इंडिया एलएलपी को दिया था, जिसने इसे आगे विभिन्न इकाइयों को उपठेका दिया था।

अपीलकर्ता सहित आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ साजिश, धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात सहित भादंसं के विभिन्न प्रावधानों के तहत 2020 में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

अपीलकर्ता ने कहा कि प्राथमिकी के बाद, उसने जांच अधिकारी के सामने अपने पास मौजूद दस्तावेज पेश किए, लेकिन फिर भी उससे और दस्तावेज पेश करने को कहा गया, जो उसके पास नहीं थे।

उच्चतम न्यायालय ने पाया कि अपीलकर्ता या उसके नियोक्ता के खिलाफ कोई विशेष आरोप नहीं हैं।

न्यायालय ने कहा, ‘‘ऐसी परिस्थितियों में अपीलकर्ता को मुकदमे का सामना करने के लिए कहना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा और प्राथमिकी तथा उसके आधार पर आगे की कार्यवाही को रद्द करने की शक्ति का प्रयोग करने से इनकार करके हस्तक्षेप नहीं करने से न्याय नहीं हो पाएगा।’’

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