देश की खबरें | शीर्ष अदालत उत्तर प्रदेश गैंगस्टर कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत

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नयी दिल्ली, 29 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश गैंगस्टर और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1986 के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की।

न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने इस याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर उससे जवाब मांगा।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पीठ के समक्ष पेश वरिष्ठ वकील आर बसंत ने कहा कि इस मामले पर शीर्ष अदालत द्वारा गौर किये जाने की जरूरत है।

वकील मनीष कुमार गुप्ता के माध्यम से यह याचिका दायर की गयी है जिसमें इस कानून के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी गयी है, जिनमें संपत्ति की कुर्की और सजा से संबंधित प्रावधान भी हैं।

याचिका में कहा गया है कि दो याचिकाकर्ताओं पर 1986 के इस कानून के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया, जबकि न तो आरोपपत्र दाखिल किया गया और न ही सुनवाई शुरू हुई।

याचिका में दावा किया गया है कि 1986 के इस कानून के प्रावधानों का उपयोग ‘बदला लेने, पारिवारिक विवादों को निपटाने के लिए याचिकाकर्ताओं को परेशान करने और डराने-धमकाने के हथियार के रूप में किया जा रहा है’, जबकि यह कानून केवल गैंगस्टर की गतिविधियों से संबंधित है।

उसमें कहा गया है, ‘‘उत्तर प्रदेश गैंगस्टर कानून, 1986 के प्रावधान निवारक प्रकृति के हैं और इन्हें दंडात्मक कार्रवाई के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

याचिका में अधिनियम के प्रावधानों के तहत लखनऊ में दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की मांग की गई है।

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