देश की खबरें | धान के खेतों और कंटीली तारों से गुजरती है तमिलनाडु के एक प्रस्तावित ‘हवाई अड्डा’ गांव की कहानी

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(वी गंगाधरन)

चेन्नई (तमिलनाडु), 25 दिसंबर परंदुर गांव की खूबसूरत सड़क बिल्कुल शांत है लेकिन यदा कदा पक्षियों की चहचहाहट और उनकी गूंज और कुछ चलती गाड़ियों की आवाजें सुनाई देती हैं।

लंबी घुमावदार सड़क से गुजरते हुए हरियाली और धान के खेतों का शानदार दृश्य नजर आता है लेकिन बीच में पुलिसकर्मियों की उपस्थिति जिज्ञासा भी पैदा करती है। अवरोधक, कुछ कंटीली तारों के साथ लोहे की दीवारों की तरह दिखने वाली वस्तु वास्तव में आपका ध्यान खींच सकती हैं।

किसान नमी को दूर करने के वास्ते धान को सुखाने के लिए उसे सड़क के किनारे डालने में व्यस्त हैं। साफ और सूखा धान एक तरफ ट्रकों पर लादे जाने के लिए तैयार है तो दूसरी तरफ गाय और भैंस घास के मैदान की ओर जाती दिखती हैं।

स्थानीय बीज बैंक के पास व्यापारियों को किसानों के साथ कीमत के मुद्दे पर बातचीत करते देखा जा सकता है, तो सड़क के एक किनारे पर पुलिस चौकी भी है।

हाल के दिनों तक बाहरी दुनिया के लिए अनजान परंदुर पहली बार अगस्त में तब सुर्खियों में आया जब सरकार ने कहा कि ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे के लिए यह जगह उसकी पसंद है।

विस्थापन और टिकाऊ आजीविका विकल्पों के खत्म होने के डर से किसान हवाई अड्डे के वास्ते प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण को लेकर नाराज हैं। अपनी इन्हीं भावनाओं को प्रकट करते हुए किसानों ने इस कदम का विरोध करना शुरू कर दिया और प्रदर्शन कर रहे हैं।

सरकार ने 20,000 करोड़ रुपये के हवाई अड्डे का प्रस्ताव रखा है और किसानों के साथ अब तक दो बार बातचीत की है। उसने कहा है कि विशेषज्ञ क्षेत्र की भूगर्भीय विशेषताओं का अध्ययन करेंगे।

कांचीपुरम और अराकोणम के बीच बसा और व्यस्त चेन्नई-बेंगलुरु राजमार्ग से दूर अनूठा छोटा परंदुर और इसका परिवेश अपने आकर्षक जल स्रोतों के कारण बरबस ध्यान खींचते हैं।

तालाब, झीलें और नहरें और मध्य भाग में एक विशाल झील तथा कतार में खड़े ऊंचे-ऊंचे पेड़, नेलवॉय गांव में एक लुभावना दृश्य प्रस्तुत करते हैं।

किसानों का कहना है कि वे हवाई अड्डा परियोजना के लिए अपनी जमीन देने के इच्छुक नहीं हैं। विरोध प्रदर्शनों के केंद्र रहे एकनापुरम गांव के बुजुर्ग वेणु कहते हैं, ‘‘चाहे मैं मर जाऊं, लेकिन मैं अपनी जमीन से एक मुट्ठी रेत भी नहीं दूंगा।’’ एकनापुरम में 23 दिसंबर को विरोध प्रदर्शन का 150वां दिन था।

नेलवॉय में एक किसान गुना आश्चर्य जताते हैं कि सरकार ने हवाईअड्डा परियोजना के लिए कहीं और बंजर भूमि को क्यों नहीं चुना।

13 गांवों में, परियोजना के लिए 4,563.56 एकड़ का अधिग्रहण प्रस्तावित है, जिसमें 3,246.38 एकड़ निजी पट्टा भूमि और 1,317.18 एकड़ सरकार के स्वामित्व वाली ‘पोरोम्बोक’ भूमि शामिल है (लोगों के अनुसार ,इसका एक हिस्सा, लगभग 955 एकड़ जलाशय हैं)। इससे कम से कम 1,005 परिवारों के विस्थापित होने की संभावना है, जिनमें से अधिकांश अति पिछड़े वर्ग और अनुसूचित जाति के हैं।

परंदुर निवासी राजेश कहते हैं कि उनके गांव के लोगों ने खेती के कामकाज के दबाव के चलते फिलहाल विरोध प्रदर्शन बंद कर दिया है।

हालांकि सत्तर वर्षीय कुमारन जैसे लोग कहते हैं कि ‘आगे बढ़ना’ समझदारी होगी, ताकि आने वाली पीढ़ियों को खेतों में मेहनत न करनी पड़े। 40 साल के मनिक्कम मुस्कुराते हुए कहते हैं, ‘‘मैं जब छोटा था, तब से यहां अब तक कुछ भी नहीं बदला है। यहां एक हवाई अड्डा बनने दीजिए। यह पूरे कांचीपुरम जिले में समृद्धि लाएगा।

परंदुर पंचायत के प्रमुख और सत्तारूढ़ द्रमुक मुनेत्र कषगम (डीएमके) के पदाधिकारी के बलरामन ने कहा कि परिवार के एक सदस्य ने उन्हें पत्रकारों से बात नहीं करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मियों को सूचित कर दिया गया जिनमें से एक सादी वर्दी में वहां तुरंत पहुंचा। परंदुर पंचायत के नागपट्टू गांव में अपने घर के बरामदे में बैठे पंचायत प्रमुख ने पीटीआई- से कहा, ‘‘मुझे धमकियां मिल रही हैं। वे (परिवार के सदस्य) चिंतित हैं।’’

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