चीन के खिलाफ नई रणनीति बनाएगा अमेरिका, विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने बीजिंग प्रशासन के बारे में कही ये बड़ी बात
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि अमेरिका को चीन के साथ अब अलग तरीके से पेश आना होगा क्योंकि अधिक राजनीतिक स्वतंत्रता मिलने की उम्मीद में उन्हें आर्थिक अवसर प्रदान करने की पुरानी नीति काम नहीं आई. विदेश मंत्री ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून ने हांगकांग के लोगों की स्वतंत्रता छीन ली है.
वाशिंगटन, 7 जुलाई: अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो (Mike Pompeo) ने कहा कि अमेरिका को चीन के साथ अब अलग तरीके से पेश आना होगा क्योंकि अधिक राजनीतिक स्वतंत्रता मिलने की उम्मीद में उन्हें आर्थिक अवसर प्रदान करने की पुरानी नीति काम नहीं आई. पोम्पिओ ने ‘वाशिंगटन वॉच’ में टोनी पर्केन्स को दिए एक साक्षात्कार में कहा, "यह सिद्धांत कि अधिक आर्थिक अवसर प्रदान करने से चीन के लोगों को अधिक राजनीतिक स्वतंत्रता और अधिक मौलिक अधिकार मिलेंगे, सही साबित नहीं हुआ. यह काम नहीं आया. मैं पुराने शासकों की आलोचना नहीं कर रहा हूं, हम स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि यह सफल नहीं हुआ और इसका मतलब है कि अमेरिका को दूसरा रास्ता अपनाना होगा."
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने स्पष्ट रूप से यह मार्ग प्रशस्त किया है. पोम्पियो ने कहा, "वह ऐसा करने वाले पहले राष्ट्रपति हैं और यह पक्षपातपूर्ण नहीं है. उनसे पहले सभी रिपब्लिकन और डेमोक्रेट राष्ट्रपतियों ने चीन को अमेरिका के साथ व्यापार संबंध स्थापित करने का मौका दिया, जिसका भुगतान पूरे अमेरिका में मध्यम वर्ग, कामकाजी लोगों को नौकरी खोकर उठाना पड़ा."
उन्होंने कहा, "अब हम देख सकते हैं कि इससे ना केवल अमेरिका को आर्थिक नुकसान हुआ है बल्कि चीन के भीतर भी लोगों के साथ भी सही व्यवहार नहीं किया जाता." विदेश मंत्री ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून ने हांगकांग के लोगों की स्वतंत्रता छीन ली है.
पोम्पियो ने कहा, "आप चाहते हैं चीन के लोग सफल हों, अच्छा जीवन जिएं और आपको अमेरिका के साथ भी अच्छे संबंध चाहिए, लेकिन हमें पता है कि वामपंथी शासन क्या करता है, हमें पता है कि सत्तावादी शासक अपने लोगों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं और यही आज हम चीन में देख रहे हैं." उन्होंने कहा कि धार्मिक और नस्ली अल्पसंख्यकों के खिलाफ चीन की कार्रवाई केवल बढ़ी है. मंत्री ने कहा, "हम इस दुर्व्यवहार को दूर करने के लिए कूटनीतिक रूप से जो कर सकते हैं वह करेंगे."
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