देश की खबरें | सोरेन के खिलाफ जांच की मांग वाली याचिका को सुनवाई योग्य बताने का मामला उच्चतम न्यायालय पहुंचा

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. झारखंड सरकार ने उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें खनन पट्टा देने में कथित अनियमितताओं और परिजनों एवं सहयोगियों की कुछ मुखौटा कंपनियों के जरिये लेनदेन के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ जांच की मांग वाली याचिका को सुनवाई योग्य बताया गया था।

नयी दिल्ली, 11 जून झारखंड सरकार ने उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें खनन पट्टा देने में कथित अनियमितताओं और परिजनों एवं सहयोगियों की कुछ मुखौटा कंपनियों के जरिये लेनदेन के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ जांच की मांग वाली याचिका को सुनवाई योग्य बताया गया था।

झारखंड उच्च न्यायालय ने गत तीन जून को कहा था कि उसकी सुविचारित राय है कि रिट याचिकाएं सुनवाई योग्य हैं और उनकी सुनवाई गुण-दोष के आधार पर की जाएगी।

इससे पहले, 24 मई को, शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय को मामले में जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई को लेकर उठायी गयी प्रारम्भिक आपत्तियों पर पहले सुनवाई करने को कहा था।

इसने मामले में उच्च न्यायालय के दो आदेशों के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा दायर याचिका पर 24 मई का आदेश पारित किया था। शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया था कि उसने मामले की योग्यता के संबंध में कोई टिप्पणी नहीं की है और याचिका में लगाए गए आरोपों पर विचार नहीं किया है।

शिवशंकर शर्मा नामक व्यक्ति ने 2022 में दायर अपनी जनहित याचिका में दावा किया है कि झारखंड के लिए विभिन्न कल्याण कोषों से गबन किए गए धन को लूटने के लिए कई मुखौटा कंपनियों का गठन किया गया था।

उन्होंने एक अन्य याचिका में यह भी आरोप लगाया है कि हेमंत सोरेन और उनके परिचित मुखौटा कंपनियां चलाने के रैकेट में शामिल हैं।

एक अन्य याचिका अरुण कुमार दुबे द्वारा 2019 में दायर की गयी थी।

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