जरुरी जानकारी | ‘ग्रीन टी’ पत्तियों की गुणवत्ता में सुधार के लिए टी बोर्ड ने बनायी समिति
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. चाय बोर्ड ने शुक्रवार को ‘ग्रीन टी’ पत्तियों की खराब गुणवत्ता के कारणों का अध्ययन करने और इसे ठीक करने के उपाय सुझाने के लिए 11 सदस्यीय समिति (पैनल) के गठन की घोषणा की।
कोलकाता, 12 मई चाय बोर्ड ने शुक्रवार को ‘ग्रीन टी’ पत्तियों की खराब गुणवत्ता के कारणों का अध्ययन करने और इसे ठीक करने के उपाय सुझाने के लिए 11 सदस्यीय समिति (पैनल) के गठन की घोषणा की।
गुवाहाटी में चाय बोर्ड के कार्यालय के कार्यकारी निदेशक की अध्यक्षता में समिति में चाय उत्पादकों समेत संबंधित क्षेत्र के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
टी बोर्ड ने यह भी कहा कि यह समिति देश भर में ‘ग्रीन टी’ की गुणवत्ता घटने के कारणों की गहन जांच करेगा और तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
कन्फेडरेशन ऑफ स्मॉल टी ग्रोअर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीआईएसटीए) के अध्यक्ष बिजॉयगोपाल चक्रवर्ती ने कहा कि चालू दूसरे तोड़ाई के सत्र (फ्लश सीजन) के दौरान उत्पादन में कमी आई है जबकि ‘ग्रीन टी’ की कीमतें भी घट गई हैं, जो अर्थशास्त्र के मूल सिद्धांत के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि दूसरे तोड़ाई सत्र में उत्पादन पश्चिम बंगाल में वार्षिक उत्पादन का 12-13 प्रतिशत हिस्सा ही है।
चक्रवर्ती ने कहा कि राज्य में छोटे चाय उत्पादकों का उत्पादन ‘कीटों के हमलों और जलवायु परिवर्तन की वजह से कम वर्षा’ के कारण घटा है।
बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘चाय बोर्ड ने ‘ग्रीन टी’ की कीमतों में गिरावट के कारणों और इसकी गुणवत्ता का पता लगाने के लिए एक समिति गठित करने का फैसला किया है।’’
चक्रवर्ती ने कहा कि पिछले साल की तुलना में जब ‘ग्रीन टी’ की कीमत करीब 35 रुपये प्रति किलोग्राम थी, तो इस साल दूसरे तोड़ाई के मौसम के दौरान यह घटकर 17 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘कीमतें आम तौर पर तब बढ़ती हैं जब किसी वस्तु की कमी होती है। लेकिन इस मामले में छोटे चाय उत्पादकों द्वारा उत्पादित ‘ग्रीन टी’ की कीमतें गिर रही हैं, जबकि उत्पादन भी घट रहा है। उत्पादन लागत बढ़ने से भी समस्या और बढ़ गई है। ऐसी स्थिति छोटे चाय उत्पादकों के कामकाज को गैर-लाभप्रद बना रही है।’’
चक्रवर्ती ने कहा कि छोटे उत्पादकों से फसल खरीदने वाली पत्ती की फैक्ट्रियां इस तथ्य की ओर इशारा कर रही हैं कि ‘‘चाय की पत्ती की मांग गिर रही है और उनके पास भारी मात्रा में माल है, जो कम उठाव की स्थिति की ओर जा रहा है।’’
छोटे चाय उत्पादकों का वार्षिक उत्पादन पश्चिम बंगाल के उत्तरी भाग में कुल फसल का 65 प्रतिशत है, जबकि यह देश की कुल मात्रा का 52 प्रतिशत के करीब है।
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