देश की खबरें | वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के बीच बेंगलुरु की 619 करोड़ की निर्भया योजना पर ठनी
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. निर्भया योजना के तहत बेंगलुरू में 619 करोड़ रूपये की सुरक्षित शहर परियोजना को लेकर दो वरिष्ठ आईपीए अधिकारियों के बीच ठन गयी है। एक दिन पहले ही कर्नाटक सरकार ने बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त कमल पंत को इस प्रक्रिया में ‘अवैध दखल’’ की जांच करने का आदेश दिया था।
बेंगलुरु, 26 दिसंबर निर्भया योजना के तहत बेंगलुरू में 619 करोड़ रूपये की सुरक्षित शहर परियोजना को लेकर दो वरिष्ठ आईपीए अधिकारियों के बीच ठन गयी है। एक दिन पहले ही कर्नाटक सरकार ने बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त कमल पंत को इस प्रक्रिया में ‘अवैध दखल’’ की जांच करने का आदेश दिया था।
बेंगलुरु के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (प्रशासन) हेमंत निम्बालकर ने आरोप लगाया था कि किसी ने खुद को गृह सचिव बताकर इस गोपनीय सूचना हासिल करने की कोशिश की थी। उन्होंने इसे ‘अवैध हस्तक्षेप ’ के समान माना था।
जवाब में गृह सचिव और महानिरीक्षक स्तर की आईपीएस अधिकारी डी रूपा ने कहा कि उन्हें निविदा प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं मिली थीं।
उन्होंने कहा कि उनके कृत्य का उद्देश्य जनसेवक के तौर पर अपने सवर्था उचित कर्तव्य निर्वहन के तहत जनहित और सरकारी धन की रक्षा करना था।
उन्होंने कहा, ‘‘ बतौर गृहसचिव मैं शिकायत करती हूं कि किसी अन्य व्यक्ति द्वारा अपने आपको गृहसचिव के रूप में पेश करने वाली बात झूठी और व्यक्तिगत भावना से प्रेरित है।’’
अधिकारी ने कहा कि जान पड़ता है कि उनके कृत्य के विरूद्ध शिकायत उन लोगों की शह पर की गयी है जिन्हें पक्षपातपूर्ण और अनुचित निविदा से फायदा होने वाला था।
निर्भया सुरक्षित परियोनजा के संदर्भ में अपने कृत्य को ‘पोल खोलने वाला’ करार देते हुए रूपा ने कहा कि भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड ने प्रधानमंत्री कार्यालय से शिकायत की थी कि निविदा में खास सेवाप्रदाता का पक्ष लिया गया है।
रूपा ने कहा, ‘‘ मैंने पोल खोला और मुख्य सचिव के संज्ञान में यह बात लायी। इसके बाद मुख्य सचिव ने मुझे अगली सुरक्षित सिटी परियोजना बैठक के लिए बुलाया।’’
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि निविदा दस्तावेज पक्षपातपूर्ण है और यह इस बात से साबित हो गया कि इसे रद्द कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि बतौर गृह सचिव उन्होंने यह जानने के लिए एर्नस्ट एंड यंग से बात की तथा और तथ्य मांगे थे कि ऐसा पक्षपातपूर्ण निविदा उनके द्वारा क्यों तैयार की गयी।
निम्बालकर ने मुख्य सचिव टी एम विजय भास्कर को पत्र लिखकर उनसे इस मामले की जांच कराने का अनुरोध किया था।
भास्कर को सात दिसंबर को भेजे पत्र में निम्बालकर ने कहा था कि बेंगलुरु सुरक्षित शहर परियोजना का डिजाइन तैयार करने और उसे लागू करने एवं उसका रखरखाव करने के लिए सेवा प्रदाता के चयन के लिए अनुरोध प्रस्ताव (आरएफपी) प्रक्रियाधीन था।
उन्होंने लिखा कि उनकी दो दिसंबर को इस परियोजना के प्रबंधन सलाहकार अक्षय सिंघल के साथ बैठक हुई थी।
सिंघल ने नौ नवंबर को बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त कमल पंत के साथ हुए ई-मेल संवाद के बारे में जानना चाहा और उससे जुड़े घटनाक्रम के बारे में पूछा।
निम्बालकर ने अपने पत्र में कहा, ‘‘ संलग्न ई-मेल संवाद अपने आप ही इस बात की व्याख्या करता है कि कर्नाटक का गृह सचिव बनकर किसी व्यक्ति ने बिना किसी वैध अधिकार एवं क्षेत्राधिकार के गलत फायदे के लिए निविदा प्रकाशित होने से पहले ही करीब 619 करोड़ रूपये की सुरक्षित शहर परियोजना के आरपीएफ के बारे में गोपनीय सूचना हासिल करने का प्रयास किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ यह कर्नाटक सरकार द्वारा शुरू की गयी निविदा प्रक्रिया में किसी अनधिकृत व्यक्ति द्वारा अवैध दखल के समान भी है। ’’
यहां स्मरणयोग्य बात है कि सीबीआई ने करोड़ों रूपये के आईएए पोंजी योजना पर कथित रूप से पर्दा डालने और योजना के संचालकों को बचाने को लेकर निम्बालकर और अन्य आईपीएस अधिकारी के विरूद्ध आरोपपत्र दायर किया था।
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