देश की खबरें | स्वास्थ्य व्यवस्था के मुद्दे पर सपा का सदन से बहिर्गमन, योगी का समाजवादियों पर पलटवार
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) ने स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली के मुद्दे पर हंगामा एवं नारेबाजी की और सदन से बहिर्गमन भी किया।
लखनऊ, 20 सितंबर उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) ने स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली के मुद्दे पर हंगामा एवं नारेबाजी की और सदन से बहिर्गमन भी किया।
दूसरी तरफ तरफ सदन के नेता एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि चार बार के शासन में राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था और शिक्षा का जितना नुकसान इन तथाकथित समाजवादियों ने किया, उतना कभी नहीं हुआ।
मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का मुद्दा उठाया और कहा कि स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं, एंबुलेंस नहीं है, अस्पतालों में दवाई का इंतजाम नहीं है और आम जनता परेशान है, इस पर चर्चा होनी चाहिए।
अध्यक्ष सतीश महाना ने पूछा कि आखिर आप किस नियम के तहत यह चर्चा कराने की मांग कर रहे हैं। तब यादव ने कहा कि नियम 311 के तहत (सदन की सभी कार्यवाही रोककर) चर्चा करायी जाए। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने हस्तक्षेप किया और कहा कि नियम-311 के तहत विषम परिस्थिति में चर्चा कराई जाती है लेकिन ऐसी कोई परिस्थिति नहीं है कि विधानसभा की कार्यवाही निलंबित कर इनकी बात सुनी जाए।
महाना ने प्रतिपक्ष की मांग अस्वीकार कर दी । तब सपा सदस्य आसन के पास आकर सरकार के विरोध में नारेबाजी करने लगे। सपा सदस्यों के साथ राष्ट्रीय लोकदल के सदस्य भी नारेबाजी कर रहे थे। वे नारे लगा रहे थे कि ‘‘बच्चों को जो इलाज दे न सके, वो सरकार निकम्मी है’’, ‘‘ तानाशाही नहीं चलेगी-तानाशाही नहीं चलेगी। ’’
अध्यक्ष ने उनसे सीट पर बैठने का अनुरोध किया। इस बीच नेता प्रतिपक्ष की ओर से सपा के मुख्य सचेतक मनोज पांडेय ने प्रस्ताव रखा कि नियम-56 के तहत इस मामले पर चर्चा कराई जाए। अध्यक्ष ने प्रश्न काल के बाद चर्चा कराने की अनुमति दी तो सदस्य जाकर अपनी सीट पर बैठ गये।
प्रश्न काल समाप्त होते ही नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि सीतापुर में एक पिता को अपने बीमार बेटे को इलाज नहीं मिला तो वह लखनऊ आया लेकिन लखनऊ के अस्पतालों में भी उसके बेटे को इलाज नहीं मिला। उन्होंने कहा कि एक दलाल के माध्यम से बाद में उसे निजी अस्पताल में भर्ती किया गया और इस मामले को लेकर मानवाधिकार आयोग ने सरकार को नोटिस दिया।
उन्होंने आरोप लगाया कि ग्रामीण क्षेत्रों में एंबुलेंस नहीं पहुंचती, गरीबों को इलाज नहीं मिलता। यादव ने कहा कि कंधे पर लाश लेकर लोग जाते देखे जा रहे हैं, ठेले पर मरीजों को अस्पताल ले जा रहे। उन्होंने कहा कि यह लोगों के जीवन का सवाल है और सरकार संवेदनहीन बनी हुई है।
नेता प्रतिपक्ष ने स्वास्थ्य महकमा संभाल रहे उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक की ओर से इशारा करते हुए कहा कि अब ये छापामार मंत्री बन गये हैं और इनके छापों का कोई असर नहीं है।
यादव ने कहा कि ''जैसे झोला छाप डाक्टरों की कोई मान्यता नहीं है, वैसे ही इनकी (उप मुख्यमंत्री) भी कोई मान्यता नहीं है।'' उन्होंने कहा कि अगर विभाग में बजट की कमी है तो नेता सदन को बजट का प्रबंध करना चाहिए। यादव ने दावा किया कि सपा सरकार में एंबुलेंस सेवा शुरू करने के साथ ही स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए उत्तम प्रयास हुए थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार निजीकरण का रास्ता अपना रही है और हमारी संस्थाओं को बंद कर निजीकरण करना चाहती है।
इन आरोपों पर योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘ नेता प्रतिपक्ष की बातों से स्पष्ट हो रहा था कि पर उपदेश कुशल बहुतेरे। उन्हें यह पता नहीं कि बोल क्या रहे हैं और किसको बोलना चाह रहे थे।’’ योगी ने आरोप लगाया कि चार बार प्रदेश में सपा की सरकार रही और इनसे उपकृत हुए लोगों को छोड़कर कोई भी व्यक्ति सपा को सही नजरिये से नहीं देखता है।
योगी ने उप्र की स्वास्थ्य व्यवस्था की सराहना करते हुए कहा कि चार बार की सरकार में स्वास्थ्य और शिक्षा का नुकसान जितना इन तथाकथित समाजवादियों ने किया, उतना कभी नहीं हुआ। योगी ने आरोप लगाया कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस से मौतें होती रहीं लेकिन सपा के लोग कभी संवेदना प्रकट करने नहीं गये। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में भी नेता प्रतिपक्ष कहीं नजर नहीं आए और केवल भ्रम फैलाने का कार्य किया।
योगी ने तंज कसा कि नेता प्रतिपक्ष को सच बोलना चाहिए। उन्होंने कहा कि लेकिन सपा और सच नदी के दो किनारे हैं जो कभी एक साथ नहीं चल सकते। उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार के पास बजट की कोई कमी नहीं है और सरकार 25 करोड़ जनता को अपने परिवार के रूप में समझती है।
योगी ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष अगर भारतीय जनता पार्टी की सरकार के अच्छे कामों में सहयोग नहीं कर सकते तो अड़ंगा नहीं लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसा वक्तव्य देना चाहिए जिससे लोगों में भ्रम की स्थिति न उत्पन्न हो। नेता प्रतिपक्ष को जिम्मेदार नेता के रूप में सदन में तथ्यों पर बोलना चाहिए। योगी ने कहा कि इससे लोगों का विश्वास डगमगाए नहीं और अगर विश्वास डगमगाएगा तो वह लोकतंत्र के लिए सबसे घातक होगा।
नेता प्रतिपक्ष ने नेता सदन का वक्तव्य समाप्त होते ही कहा कि हम नेता सदन के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं, इसलिए सदन से बहिर्गमन करते हैं।
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