जरुरी जानकारी | छोटी राशि के कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थानों ने जिम्मेदार गतिविधियों के लिए नियमों में किया बदलाव
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. छोटी राशि के कर्ज देने वाले सूक्ष्म वित्त संस्थानों के नेटवर्क (एमएफआईएन) ने सोमवार को समाज में वंचित तबकों को अधिक जिम्मेदार तरीके से कर्ज देने के लिए कुछ बदलावों की घोषणा की। उद्योग की गतिविधियों पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की बार-बार सख्ती के बाद यह कदम उठाया गया है।
मुंबई, 25 नवंबर छोटी राशि के कर्ज देने वाले सूक्ष्म वित्त संस्थानों के नेटवर्क (एमएफआईएन) ने सोमवार को समाज में वंचित तबकों को अधिक जिम्मेदार तरीके से कर्ज देने के लिए कुछ बदलावों की घोषणा की। उद्योग की गतिविधियों पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की बार-बार सख्ती के बाद यह कदम उठाया गया है।
एमएफआईएन ने एक बयान में कहा कि एक जनवरी से, स्व-नियामक संगठन के सदस्य यह सुनिश्चित करेंगे कि एक सूक्ष्म वित्त संस्थान के ग्राहक का कर्ज वर्तमान में चार के मुकाबले तीन एमएफआई तक सीमित हो। साथ ही एमएफआई और असुरक्षित माने जाने वाले खुदरा कर्ज सहित एक उधारकर्ता की कुल कर्ज देनदारी दो लाख रुपये तक सीमित हो।
संस्थान के मुख्य कार्यकारी और निदेशक आलोक मिश्रा ने उम्मीद जताई कि नये उपायों से क्षेत्र ‘अधिक मजबूत’ बनेगा।
भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले कुछ महीनों में एमएफआई की कई गतिविधियों को लेकर चिंता जतायी है। इसमें अत्यधिक उच्च ब्याज दर, एक उधारकर्ताओं को कई कर्ज देना और यहां तक कि भुगतान के बावजूद सही खातों में कर्ज भुगतान जमा न करने जैसी गतिविधियां शामिल हैं।
आरबीआई ने 21 अक्टूबर को नवी फिनसर्व, डीएमआई फाइनेंस, आरोहण फाइनेंशियल सर्विसेज और आशीर्वाद माइक्रो फाइनेंस सहित चार इकाइयों को अनुचित गतिविधियों के कारण नये कर्जों को मंजूरी देने और वितरित करने से मना किया।
वहीं, कई कर्जदाता एमएफआई खंड में अपने एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) में वृद्धि दिखा रहे हैं।
एमएफआईएन दिशानिर्देशों के अनुसार, इन वित्तीय संस्थानों ने कर्जदाताओं के ऐसे ग्राहक को ऋण देने के नियम भी कड़े कर दिए हैं जो गैर-निष्पादित परिसंपत्ति श्रेणी में आ गए हैं।
दिशानिर्देशों में कहा गया है कि गड़बड़ी करने वाले ऐसे किसी ग्राहकों को कोई कर्ज नहीं दिया जाएगा, जिन्होंने 60 दिन से अधिक समय से 3,000 रुपये से अधिक का बकाया नहीं चुकाया है। वर्तमान में यह समयसीमा 90 दिन है।
स्वनियामकीय संगठनों ने कर्जदाताओं से प्रसंस्करण शुल्क और कर्ज को लेकर जीवन बीमा के अलावा कोई अन्य शुल्क नहीं लगाने को भी कहा है।
एमएफआईएन के बयान में कहा गया है कि ब्याज दरों पर विनियमित इकाइयों के निदेशक करीबी से नजर रखेंगे और उसकी समीक्षा करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दक्षता लाभ ग्राहकों को दिया जाए।
बयान के अनुसार, ‘‘इन उपायों का मकसद जिम्मेदार ऋण देने की सुविधा, ग्राहक सुरक्षा को प्राथमिकता और क्षेत्र की वृद्धि को बढ़ावा देना है।’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)