जरुरी जानकारी | सीतारमण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों से मुलाकात करेंगी, ऋण वृद्धि पर दे सकती हैं जोर
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के प्रमुखों के साथ बैठक करेंगी। इस दौरान वह अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न योजनाओं पर बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा करेंगी।
नयी दिल्ली, 17 जून वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के प्रमुखों के साथ बैठक करेंगी। इस दौरान वह अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न योजनाओं पर बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा करेंगी।
यह आम बजट 2022-23 पेश किए जाने के बाद पहली समीक्षा बैठक है।
सूत्रों ने कहा कि अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार में तेजी लाने के लिए बैंकों से उत्पादक क्षेत्रों को अधिक ऋण देने का आग्रह किया जाएगा। गौरतलब है कि इस समय आर्थिक मोर्चे पर रूस-यूक्रेन युद्ध सहित विभिन्न कारणों से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
पिछले हफ्ते आजादी के अमृत महोत्सव के तहत वित्त मंत्रालय के सप्ताहिक समारोह के दौरान बैंकों ने देश भर में ऋण मेले का आयोजन किया था, जहां कर्ज को इच्छुक योग्य व्यक्तियों को मौके पर ही ऋण स्वीकृत किये गये।
सूत्रों ने कहा कि वित्त मंत्री बैंकों की ऋण वृद्धि, संपत्ति की गुणवत्ता और व्यवसाय वृद्धि योजना की जानकारी भी लेंगी।
उन्होंने कहा कि इस दौरान किसान क्रेडिट कार्ड, आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) सहित विभिन्न सरकारी योजनाओं में प्रगति की व्यापक समीक्षा की जाएगी।
बजट में ईसीएलजीएस को मार्च 2023 तक एक साल के लिए बढ़ा दिया गया था। इसके अलावा इस योजना के लिए गारंटी कवर को 50,000 करोड़ रुपये बढ़ाकर पांच लाख करोड़ रुपये कर दिया गया था। ईसीएलजीएस 3.0 के तहत होटल और उससे जुड़े क्षेत्र, यात्रा, पर्यटन और नागरिक उड्डयन क्षेत्रों को भी शामिल किया गया।
सूत्रों ने कहा कि बैठक के दौरान बैंकों की पूंजी आवश्यकता और वित्तीय समावेश अभियान की समीक्षा भी की जाएगी।
गौरतलब है कि यह बैठक ऐसे वक्त में आयोजित की जा रही है, जब सभी पीएसबी ने लगातार दूसरे वित्त वर्ष में लाभ कमाया है।
पीएसबी की वित्तीय सेहत में सुधार के लिए सरकार ने एक व्यापक रणनीति लागू की, जिसमें एनपीए को पारदर्शी रूप से स्वीकार करना, तनावग्रस्त खातों का समाधान, सरकारी बैंकों में पूंजी डालना, वित्तीय परिवेश में व्यापक सुधार शामिल है।
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