देश की खबरें | सिद्धरमैया : जिसके कभी धुर विरोधी थे, वही ‘हाथ’ थाम कर दूसरी बार बनेंगे मुख्यमंत्री

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. करीब ढाई दशक तक ‘जनता परिवार’ की जड़ों से जुड़ कर कांग्रेस को कमजोर करने की कोशिश करने वाले सिद्धरमैया को कांग्रेस कर्नाटक का अगला मुख्यमंत्री बनाने जा रही है। वह दूसरी बार प्रदेश की कमान संभालेंगे।

बेंगलुरु, 18 मई करीब ढाई दशक तक ‘जनता परिवार’ की जड़ों से जुड़ कर कांग्रेस को कमजोर करने की कोशिश करने वाले सिद्धरमैया को कांग्रेस कर्नाटक का अगला मुख्यमंत्री बनाने जा रही है। वह दूसरी बार प्रदेश की कमान संभालेंगे।

गरीब किसान परिवार से आने वाले सिद्धरमैया 1980 के दशक की शुरुआत से 2005 तक कांग्रेस के धुर विरोधी थे, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी.देवेगौड़ा की पार्टी जद(एस) से बाहर का रास्ता दिखाए जाने के बाद उन्होंने वह ‘हाथ’ थाम लिया जिसका वह विरोध करते रहे थे।

धैर्य, दृढ़ता और स्पष्टवादिता के लिए जाने जाने वाले अनुभवी राजनेता सिद्धरमैया की राज्य की बागडोर संभालने की महत्वाकांक्षा 2013 में पूरी हुई जब कांग्रेस पार्टी की तरफ से उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया।

नौ बार के विधायक सिद्धरमैया को इन्हीं गुणों ने पांच साल के अंतराल के बाद एक बार फिर इस पद पर पहुंचाया है। उन्हें राज्य में पार्टी की सरकार का दूसरी बार नेतृत्व करने के लिए कांग्रेस विधायक दल के नेता के रूप में फिर से चुना गया है।

कांग्रेस नेता (75) ने पहले ही घोषणा की थी कि हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव उनका आखिरी चुनाव होगा। उन्होंने अपनी यह महत्वाकांक्षा भी नहीं छिपाई कि वह अपनी सक्रिय सियासी पारी को “ऊंचाई” पर विराम देना चाहते है।

मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में कांग्रेस के दिग्गजों को किनारे लगाने का श्रेय भी सिद्धरमैया को जाता है। इस बार उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार से बाजी मारी तो वहीं 2013 में उन्होंने एम. मल्लिकार्जुन खरगे (मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष व तत्कालीन केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री) को पीछे छोड़ा था।

कर्नाटक में 2004 में खंडित जनादेश के बाद, कांग्रेस और जद (एस) ने गठबंधन सरकार बनाई। उस समय जद(एस) में रहे सिद्धरमैया को उप मुख्यमंत्री बनाया गया जबकि कांग्रेस के एन. धरम सिंह मुख्यमंत्री बने थे। सिद्धरमैया को यह शिकायत है कि उनके पास मुख्यमंत्री बनने का अवसर था, लेकिन देवेगौड़ा ने उनकी संभावनाओं पर पानी फेर दिया।

सिद्धरमैया कुरुबा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं जो राज्य में तीसरी सबसे बड़ी आबादी है। सिद्धरमैया ने खुद को पिछड़े वर्ग के नेता के तौर पर स्थापित करने का फैसला किया और अहिंडा (अल्पसंख्यकों, पिछड़े वर्गों और दलितों के लिए कन्नड में सक्षिप्त शब्द) सम्मेलन आयोजित किए। यह संयोग से उस समय हुआ जब देवेगौड़ा के बेटे एच.डी. कुमारस्वामी को पार्टी में उभरते नेता के तौर पर देखा जा रहा था।

सिद्धरमैया को जद (एस) से बर्खास्त कर दिया गया। वह पार्टी में पहले राज्य इकाई प्रमुख के रूप में कार्य कर चुके थे। पार्टी के आलोचकों ने कहा कि उन्हें इसलिए हटा दिया गया क्योंकि देवेगौड़ा कुमारस्वामी को पार्टी के नेता के रूप में बढ़ावा देने के इच्छुक थे।

अधिवक्ता सिद्धरमैया ने उस वक्त भी ‘राजनीति से सन्यांस’ और वकालत के पेशे में लौटने का विचार व्यक्त किया था। उन्होंने अपनी पार्टी के गठन की संभावना को खारिज करते हुए कहा था कि वह धनबल नहीं जुटा सकते। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने उन्हें लुभाते हुए पार्टी में पद देने की बात कही थी, लेकिन उन्होंने कहा था कि वह भाजपा की विचारधारा से सहमत नहीं हैं । वह 2006 में समर्थकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए थे। यह एक ऐसा कदम था जिसके बारे में कुछ वर्षों पहले तक सोचा भी नहीं जा सकता था।

कई बार ठेठ देसी अंदाज में नजर आने वाले सिद्धरमैया ने मुख्यमंत्री बनने की अपनी महत्वाकांक्षा को कभी नहीं छुपाया और बार-बार, बिना किसी हिचकिचाहट के इस पर जोर दिया।

वह 2004 के अलावा, 1996 में भी मुख्यमंत्री की “गद्दी” से चूक गए थे, जब देवेगौड़ा प्रधानमंत्री बने थे। तब सिद्धरमैया को जे.एच. पटेल ने पछाड़ दिया, जिनके मंत्रिमंडल में वे उपमुख्यमंत्री थे। देवेगौड़ा और पटेल दोनों के अधीन उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया।

जनता के बीच व्यापक प्रभाव रखने वाले सिद्धरमैया वित्त मंत्री के तौर पर 13 बार राज्य का बजट पेश कर चुके हैं। उनके दोस्तों का कहना है कि उनका व्यक्तित्व कुछ हद तक “दबंग” है और वह अपने लक्ष्यों को लेकर दृढ़ रहते हैं।

उन्होंने राजनीति में करियर बनाने के लिये वकालत का पेशा छोड़ दिया था।

सिद्धरमैया 1983 में लोकदल के टिकट पर चामुंडेश्वरी विधानसभा सीट से जीत कर पहली बार विधानसभा पहुंचे थे। उन्होंने बाद में तत्कालीन जनता पार्टी का दामन थाम लिया था।

वह राम कृष्ण हेगड़े के मुख्यमंत्री रहने के दौरान, कन्नड़ के आधिकारिक के तौर पर उपयोग के लिये बनाई गई निगरानी समिति “कन्नड़ कवालु समिति” के पहले अध्यक्ष बने। बाद में वह रेशम उत्पादन मंत्री बने। दो साल बाद हुए मध्यावधि चुनाव में वह पुन:निर्वाचित हुए और हेगड़े सरकार में पशुपालन एवं पशु चिकित्सा सेवा मंत्री बने।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

Share Now

संबंधित खबरें

South Africa Women vs Ireland Women, 3rd T20I Match Live Streaming In India: दक्षिण अफ़्रीका बनाम आयरलैंड के बीच आज खेला जाएगा तीसरा टी20 मुकाबला, यहां जानें भारत में कब, कहां और कैसे उठाए लाइव मुकाबले का लुफ्त

Barabanki Road Accident: बाराबंकी के पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर दो कारें आपस में टकराई, गाड़ी में लगी आग से 5 लोगों की दर्दनाक मौत: VIDEO

South Africa Women vs Ireland Women, 3rd T20I Match Pitch Report And Weather Update: बेनोनी में दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाज करेंगे सीरीज में क्लीन स्वीप या आयरलैंड के गेंदबाज बचा पाएंगे अपनी लाज, मैच से पहले जानें पिच रिपोर्ट और मौसम का हाल

Pondicherry Shocker: नहीं हुआ सिलेक्शन तो क्रिकेटरों ने किया जानलेवा हमला, कोच को लगे 20 टांके और हाथ भी हुआ फ्रैक्चर, पुडुचेरी की घटना से खेल जगत में खलबली

\