देश की खबरें | ‘सेक्स स्कैंडल’ को लेकर कर्नाटक विधानसभा में फिर हंगामा
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बेंगलुरु, 23 मार्च भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री रमेश जरकीहोली की कथित संलिप्तता वाले ‘सेक्स स्कैंडल’ को लेकर मंगलवार को कर्नाटक विधानसभा में एक बार फिर हंगामा हुआ। विपक्षी कांग्रेस ने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की निगरानी में जांच की मांग को लेकर विधानसभा अध्यक्ष के आसन के समक्ष आकर विरोध प्रदर्शन किया।
कार्यवाही बार-बार स्थगित हुई क्योंकि कांग्रेस के सदस्यों ने नारेबाजी करते हुए कामकाज नहीं होने दिया। वहीं सरकार विपक्ष की मांग नहीं मानने पर कायम रही।
अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी ने सदन के नेताओं की एक बैठक बुलायी ताकि सदन में कामकाज के लिए स्थिति सामान्य बनायी जा सके लेकिन इसका कोई लाभ नहीं हुआ।
हालांकि, कांग्रेस के रुख में तब थोड़ा बदलाव आया जब विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने कहा कि मामले की जांच करने वाली विशेष जांच टीम की निगरानी कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा की जानी चाहिए।
विधानसभा के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह सदन का समय बर्बाद कर रही है क्योंकि उसके पास कोई मुद्दा नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘बजट सत्र के दौरान, हमारे कांग्रेस के मित्र बेतुके बहाने देकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। रमेश जरकीहोली ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पहले ही इस्तीफा दे दिया है और जांच जारी है। महिला (वीडियो में दिखी) अपना बयान देने के लिए आगे नहीं आ रही है..हम उसे ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं ... और क्या करना है? आप (कांग्रेस) विरोध प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं? मैं समझ नहीं पा रहा हूं।’’
गोकक से भाजपा विधायक जरकीहोली ने गत तीन मार्च को मंत्री पद से तब इस्तीफा दे दिया था जब एक सामाजिक कार्यकर्ता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराकर 'रोजगार इच्छुक’ के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था और कथित तौर पर अंतरंग पलों को दिखाने वाली एक वीडियो क्लिप सामने आयी थी। उन्होंने कई बार खुद के निर्दोष होने का दावा किया है और वीडियो को "फर्जी" बताया है।
पूर्व मंत्री बी डी बसावराजू को सदन द्वारा श्रद्धांजलि दिये जाने के तुरंत बाद कांग्रेस के सदस्य अध्यक्ष के आसन के सामने आ गए और अदालत की निगरानी में जांच की मांग करने लगे।
अध्यक्ष ने जब सिद्धारमैया से प्रश्नकाल में सहयोग करने का अनुरोध किया तो उन्होंने कहा, ‘‘अगर सरकार हमारी मांगों पर सहमत नहीं है, तो हम कैसे सहयोग कर सकते हैं?"
सीडी लहराते हुए कांग्रेस के सदस्यों ने नारे लगाये। इस पर कुछ भाजपा विधायक जैसे एम पी रेणुकाचार्य ने भी नारेबाजी की।
अध्यक्ष ने कहा कि सीडी को सदन में लाना सही नहीं है। उन्होंने सदस्यों से कहा कि वे प्रश्नकाल चलने दें।
कानून और संसदीय मामलों के मंत्री बसावराज बोम्मई ने कहा कि सरकार ने सोमवार को चर्चा के बाद इस मामले पर एक विस्तृत जवाब दिया है और इसमें कहने के लिए और कुछ नहीं है।
उन्होंने कहा, "जांच पहले से ही चल रही है ... कृपया सदन का समय बर्बाद न करें। सदन नहीं चलने देकर अन्य सदस्यों के अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है। ऐसा नहीं होना चाहिए।’’
उनकी बार-बार की गई अपील व्यर्थ गई, इस पर कागेरी ने कुछ समय के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी और सदन के नेताओं को बैठक के लिए बुलाया।
सदन की कार्यवाही फिर से शुरू होने पर कांग्रेस सदस्यों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी जारी रखी।
अध्यक्ष ने बजट और मांगों पर चर्चा लंबित होने का उल्लेख करते हुए कहा ‘‘यह सदन केवल विपक्ष या सत्ताधारी दल के लिए नहीं है, बल्कि सभी 224 सदस्यों के लिए है। किसी को भी अपने मुद्दों को उठाने और चर्चा में भाग लेने का अधिकार है। इसे रोका नहीं जाना चाहिए। यदि आप सरकार की प्रतिक्रिया से खुश नहीं हैं, तो योजना बाहर बनाये लेकिन सदन चलने दें।’’
बोम्मई ने फिर से कहा कि सरकार ने बैठक के दौरान विपक्ष के नेता को अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। यदि विपक्ष इससे संतुष्ट नहीं होता, तो वे बाहर कुछ भी कर सकते थे, लेकिन व्यवधान पैदा कर अन्य सदस्यों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकते।
जब कागेरी ने विपक्ष के नेता को सहयोग करने का अनुरोध किया तो सिद्धारमैया ने कहा कि वे उचित मांग कर रहे हैं कि जांच उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की निगरानी में होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें एसआईटी द्वारा इसे पूरा कराने दें। हम न्यायिक आयोग के लिए नहीं कह रहे हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि सच्चाई सामने आनी चाहिए ... अगर हमारी मांग पूरी होती है, तो हम सहयोग करेंगे।’’
जब सदस्य अपनी सीटों पर वापस नहीं गए और नारेबाजी जारी रखी तो अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दोपहर भोजन के बाद तक स्थगित कर दी।
भोजन के बाद भी सदन में हंगामा जारी रहा और कांग्रेस के सदस्य अध्यक्ष के आसन के सामने आ गए और नारेबाजी की। उन्होंने जरकीहोली के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज करने और अदालत की निगरानी में एक स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की।
इस हंगामे के बीच दो विधेयक पारित हुए और पूरक बजट अनुमान सदन में पेश किया गया।
बाद में सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।
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