देश की खबरें | कर्नाटक की समृद्ध संस्कृति को ऐतिहासिक ‘मैसुरु दशहरा’ समारोह में दर्शाया गया
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. विजयादशमी के अवसर पर शनिवार को महलों के शहर मैसुरू में शानदार जुलूस निकाला जा रहा है, जो 10 दिनों तक चलने वाले प्रतिष्ठित ‘मैसूर दशहरा’ उत्सव और समारोहों का भव्य समापन भी होगा।
मैसुरु, 11 अक्टूबर विजयादशमी के अवसर पर शनिवार को महलों के शहर मैसुरू में शानदार जुलूस निकाला जा रहा है, जो 10 दिनों तक चलने वाले प्रतिष्ठित ‘मैसूर दशहरा’ उत्सव और समारोहों का भव्य समापन भी होगा।
‘नाडा हब्बा’ (राजकीय उत्सव) के रूप में मनाया जाने वाला दशहरा या ‘शरण नवरात्रि’ उत्सव इस वर्ष भव्य रहा, जिसमें कर्नाटक की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं की झलक देखने को मिली तथा राजसी शान-शौकत और वैभव की यादें ताजा हो गईं।
आज शाम हजारों लोगों के ‘जम्बू सवारी’ देखने के लिए एकत्र होने की उम्मीद है, जिसमें 'अभिमन्यु' के नेतृत्व में एक दर्जन सजे-धजे हाथियों का जुलूस निकाला जाएगा और वे मैसूर एवं उसके (पूर्व) राजघराने की अधिष्ठात्री देवी चामुंडेश्वरी की मूर्ति को 750 किलोग्राम के हौदे या 'अम्बरी' पर रखकर ले जाएंगे।
भव्य शोभायात्रा की शुरुआत मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार द्वारा अंबा विलास महल के बलराम द्वार पर ‘नंदी ध्वज’ की पूजा-अर्चना के साथ हुई। यह पूजा शुभ मकर लग्न में दोपहर एक बजकर 41 मिनट से दो बजकर 10 मिनट तक चली।
नंदी ध्वज की पूजा करने के बाद सिद्धरमैया ने विजया दशमी के अवसर पर लोगों को बधाई दी।
इस शोभयात्रा में कई कलाकार और सांस्कृतिक संगठन शामिल हैं तथा विभिन्न जिलों की झांकियां भी प्रदर्शित की गयी हैं। उन झांकियों में क्षेत्रीय संस्कृति एवं धरोहर को दिखाया गया है। यह शोभयात्रा पांच किलोमीटर बाद बन्निमानटापा में समाप्त होगी।
सरकारी विभागों की झांकियां भी शोभयात्रा का हिस्सा हैं और उन झांकियों में विभिन्न योजनाएं या कार्यक्रम और सामाजिक संदेशों को दर्शाया गया है। शोभयात्रा शुरू होने से कई घंटे पहले ही बड़ी संख्या में लोग उसके मार्ग में खड़े हो जाते हैं।
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