कोलकाता, 16 जून कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को पश्चिम बंगाल सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाने का निर्देश दिया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ की गई विवादास्पद टिप्पणी पर किसी भी विरोध प्रदर्शन के दौरान कोई हिंसा न हो।
अदालत ने सरकार से यह भी कहा कि वह जरूरत पड़ने पर केंद्रीय बलों को बुलाये।
शर्मा के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक और निजी संपत्तियों में तोड़फोड़ की जिसके बाद हावड़ा जिले और राज्य में कुछ अन्य स्थानों पर नौ और 10 जून को कई घंटे के लिए रास्ते और ट्रेन की पटरियों को अवरुद्ध कर दिया गया था।
कई जनहित याचिकाओं में याचिकाकर्ताओं द्वारा सेना या केंद्रीय बलों की तैनाती के अनुरोध के बाद अदालत ने यह आदेश पारित किया। उक्त याचिकाओं में आशंका व्यक्त की गई थी कि हिंसक विरोध की घटनाएं फिर से हो सकती हैं।
मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति आर भारद्वाज ने निर्देश दिया, ‘‘हम राज्य के अधिकारियों को अग्रिम रूप से जमीनी स्थिति का आकलन करने और केंद्रीय बलों को बुलाने के लिए कदम उठाने का निर्देश देते हैं...।’’
पीठ ने राज्य के अधिकारियों को हिंसा और संपत्ति की तोड़फोड़ की घटनाओं के वीडियो फुटेज एकत्रित करने और कानून के अनुसार कार्रवाई करने के लिए त्वरित कदम उठाने का निर्देश भी दिया। याचिकाकर्ताओं ने बुधवार को जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान आरोप लगाया था कि शांतिपूर्ण सभा की आड़ में बड़ी सभा हो रही है जिसमें भड़काऊ नारे लगाए जा रहे हैं।
उन्होंने यह भी दावा किया कि तोड़फोड़ के संबंध में दर्ज प्राथमिकी में निर्दोष लोगों को फंसाया जा रहा है।
अदालत ने 13 जून को भी उम्मीद जतायी थी कि राज्य के अधिकारी यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाएंगे कि कोई अप्रिय घटना न हो और शांति बनी रहे। उसने कहा था कि अगर राज्य पुलिस स्थिति को नियंत्रित करने में विफल रहती है तो केंद्रीय बलों को बुलाने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
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