प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की बिजली क्षेत्र की समीक्षा, उपभोक्ताओं की संतुष्टि को बताया प्राथमिकता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उपभोक्ताओं की संतुष्टि को प्राथमिकता देते हुए कहा कि बिजली क्षेत्र में परिचालन दक्षता को बढ़ाने के साथ ही इसे सस्ता और सुलभ बनाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि प्रत्येक राज्य को कम से कम एक शहर को पूरी तरह से सौर ऊर्जा से पूर्ण बनाना चाहिए और इसमें छतों पर सौर ऊर्जा के उपयोग के मॉडल को अपनाया जा सकता है.

पीएम मोदी (Photo Credits: PIB)

नई दिल्ली, 28 मई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने उपभोक्ताओं की संतुष्टि को प्राथमिकता देते हुए कहा कि बिजली क्षेत्र में परिचालन दक्षता को बढ़ाने के साथ ही इसे सस्ता और सुलभ बनाना जरूरी है. बिजली, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालयों के कामकाज की समीक्षा करते हुए बुधवार को मोदी ने बिजली क्षेत्र की समस्याओं की ओर ध्यान दिलाया और खास तौर पर विभिन्न क्षेत्रों एवं राज्यों में बिजली वितरण एवं पारेषण खंड की समस्याओं को रेखांकित किया.

बृहस्पतिवार को जारी आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, प्रधानमंत्री ने कहा कि एक समाधान को सभी के लिये लागू करने की बजाए मंत्रालय को हर राज्य को केंद्रीत करके समाधान लाना चाहिए और बेहतर प्रदर्शन करने वाले प्रत्येक राज्य को प्रोत्साहन लाभ देना चाहिए. समीक्षा के दौरान संशोधित शुल्क नीति और बिजली संशोधन विधेयक 2020 सहित नीतिगत पहल एवं बिजली क्षेत्र की समस्याओं को दूर करने के बारे में चर्चा की गई.

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बयान के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी ने उपभोक्ता संतुष्टि पर बल दिया और बिजली क्षेत्र में परिचालन दक्षता को बढ़ाने के साथ वित्तीय वहनीयता को बेहतर बनाने की जरूरत बतायी. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बिजली क्षेत्र में उपयोग में आने वाले उपकरण भारत में बनाये जाने चाहिए. नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा के बारे में प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सौर ऊर्जा जल पम्पों से लेकर सौर ऊर्जा से चलने वाले शीत गृहों तक कृषि क्षेत्र में सम्पूर्ण आपूर्ति श्रृंखला को समग्र दृष्टि से देखने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि प्रत्येक राज्य को कम से कम एक शहर को पूरी तरह से सौर ऊर्जा से पूर्ण बनाना चाहिए और इसमें छतों पर सौर ऊर्जा के उपयोग के मॉडल को अपनाया जा सकता है. मोदी ने महसूस किया कि कार्बन शून्य लद्दाख की योजना को आगे बढ़ाया जाना चाहिए. प्रधानमंत्री ने सौर एवं पवन ऊर्जा का उपयोग करके तटीय क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति करने की भी वकालत की .

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