पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने से दिल्ली में प्रदूषण बढ़ा है: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता रविवार की सुबह ''बहुत खराब'' श्रेणी में पहुंचने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के के कारण प्रदूषण बढ़ा है क्योंकि वहां की सरकारें इसे रोकने में किसानों की मदद के लिए ‘कुछ नहीं’ कर रही हैं.
नयी दिल्ली, 17 अक्टूबर : राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता रविवार की सुबह ''बहुत खराब'' श्रेणी में पहुंचने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने कहा कि पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के के कारण प्रदूषण बढ़ा है क्योंकि वहां की सरकारें इसे रोकने में किसानों की मदद के लिए ‘कुछ नहीं’ कर रही हैं. उन्होंने पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश की सरकारों से पराली जलाने को कम करने एवं प्रदूषण को नियंत्रित करने के प्रति अपनी जिम्मेदारियां समझने की अपील की. केजरीवाल ने शालीमार बाग में एक नये अस्पताल की आधारशिला रखते हुए कहा, ‘‘पिछले एक महीने से मैं दिल्ली में वायु गुणवत्ता को लेकर आंकड़े ट्वीट कर रहा हूं. पिछले तीन-चार दिनों से प्रदूषण बढ़ा है और यह पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के कारण हुआ है. पड़ोसी राज्यों में किसान पराली जलाने को बाध्य हैं क्योंकि सरकारें (पराली जलाने से रोकने के लिए) उनकी खातिर कुछ नहीं कर रही हैं. ’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में दो प्रकार का प्रदूषण है, एक अंदरूनी प्रदूषण है जो वाहनों, धूल आदि से पैदा होता है और दूसरा पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के कारण होता है. केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार शहर में अंदरूनी प्रदूषण को रोकने के लिए धूल-रोधी अभियान से लेकर खेतों में जैव अपघटकों के छिड़काव तक हर कदम उठा रही है लेकिन पड़ोसी राज्यों ने अब तक कुछ नहीं किया है. उन्होंने सवाल किया, ‘‘दिल्ली में पराली जलाने से रोकने के लिए हमने खेतों में जैव अपघटकों का छिड़काव करवाया. उसके छिड़काव के बाद किसानों को पराली जलाने की जरूरत नहीं है . पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारें इस द्रव का छिड़काव क्यों नहीं करा सकती हैं?’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं पड़ोसी राज्यों की सरकारों से (पराली जलाने को रोकने के प्रति) अपनी जिम्मेदारी समझने और जिम्मेदार ढंग से किसानों की मदद करने का अनुरोध करता हूं. ’’ यह भी पढ़ें : Kerala Rains: भारी बारिश से 21 की मौत, दर्जनों अभी भी लापता- रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
रविवार को अपराह्न दो बजे दिल्ली में एक्यूआई 339 था, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है. शून्य से 50 के बीच एक्यूआई अच्छा, 51 और 100 संतोषजनक, 101 और 200 मध्यम, 201 और 300 खराब, 301 और 400 बहुत खराब, और 401 और 500 गंभीर माना जाता है. दिन में केजरीवाल के बयान से पहले दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने भी ऐसी ही चिंता प्रकट की थी और कहा था कि पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं के कारण ऐसा हुआ है. उन्होंने भी इन राज्यों की सरकारों से ''जिम्मेदार'' दृष्टिकोण अपनाने का अनुरोध किया. राय ने कहा था कि यह सामान्य चलन है कि जैसे-जैसे पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ती हैं, दिल्ली में वायु गुणवत्ता बिगड़ने लगती है. मंत्री ने कहा था कि दो दिन पहले दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 171 था, लेकिन पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ने के साथ ही एक्यूआई खराब होने लगा और रविवार को यह 284 रहा.
उन्होंने कहा था, “यह एक सामान्य प्रवृत्ति रही है. हमने पड़ोसी राज्यों से पराली जलाने की घटनाओं को नियंत्रित करने की अपील की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. पराली जलाने के विकल्प के रूप में हमने खेतों में जैव अपघटकों का छिड़काव शुरू कर दिया है, ऐसा ही पड़ोसी राज्यों को करना चाहिए.” राय ने कहा था, “(पड़ोसी) राज्यों को पराली जलाने की घटनाओं को कम करने के लिए एक जिम्मेदार दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है. उन्हें अपने राज्यों में जैव अपघटकों का छिड़काव करने की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके.”