देश की खबरें | कॉर्बेट क्षेत्र में बस चलाने के खिलाफ याचिका: न्यायालय ने कहा, हमें अधिकारों को संतुलित करना होगा

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान द्वारा उत्तराखंड स्थित बाघ अभयारण्य के मुख्य क्षेत्र में बसें चलाने के लिए एक निजी ऑपरेटर को अनुमति दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को कहा कि सभी के अधिकारों को संतुलित किए जाने की आवश्यकता है।

नयी दिल्ली, 12 जुलाई उच्चतम न्यायालय ने जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान द्वारा उत्तराखंड स्थित बाघ अभयारण्य के मुख्य क्षेत्र में बसें चलाने के लिए एक निजी ऑपरेटर को अनुमति दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को कहा कि सभी के अधिकारों को संतुलित किए जाने की आवश्यकता है।

इसने कहा कि अगर वहां गांव हैं तो उन्हें भी पहुंच की जरूरत है।

शीर्ष अदालत ने 18 फरवरी, 2021 को जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान द्वारा 23 दिसंबर, 2020 को जारी किए गए उस कार्यालय पत्र के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी थी जिसमें मुख्य क्षेत्र के भीतर बसों को चलाने की अनुमति दी गई थी।

यह मामला न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया।

याचिका दायर करने वाले वकील गौरव कुमार बंसल ने कहा कि शीर्ष अदालत ने फरवरी में उत्तराखंड राज्य की ओर से पेश वकील से अधिकारियों से इस बारे में विशिष्ट निर्देश लेने को कहा था कि क्या सवालों के घेरे में आई सड़क मुख्य क्षेत्र या ‘बफर’ क्षेत्र में है।

राज्य सरकार के वकील ने पीठ को बताया कि 53 किलोमीटर की सड़क में से चार-चार किलोमीटर के दो हिस्से मुख्य क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।

उन्होंने कहा कि सड़क का शेष 45 किलोमीटर का हिस्सा मुख्य क्षेत्र में नहीं आता।

हालांकि, बंसल ने इस मामले में दायर पहले के हलफनामे का हवाला दिया और कहा कि इसमें कहा गया था कि कुल 73 किलोमीटर के पाखरो-मोरघट्टी-कालागढ़-रामनगर वन मार्ग का 37 किलोमीटर हिस्सा कॉर्बेट बाघ अभयारण्य के ‘बफर’ क्षेत्र से गुजरता है।

उन्होंने कहा कि हलफनामे के अनुसार, सड़क का 26 किलोमीटर हिस्सा मुख्य क्षेत्र से होकर गुजरता है जबकि शेष 10 किलोमीटर राजस्व भूमि से होकर गुजरता है।

न्यायालय ने कहा, ‘‘हमें अधिकारों को संतुलित करना होगा।’’ इसने कहा कि यदि वहां गांव हैं तो उन्हें भी पहुंच की जरूरत है।

पीठ ने पर्यावरण और वन्यजीव संबंधी कई मामलों में न्याय मित्र के रूप में अदालत की सहायता कर रहे एक वकील से इस मामले में भी सहायता करने को कहा और इसे अगस्त में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि एक निजी कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए राज्य के वन अधिकारियों ने उसे बाघ अभयारण्य के मुख्य क्षेत्र में बस चलाने की अनुमति दी।

उन्होंने जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक के आदेश को रद्द करने का आग्रह किया।

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