जरुरी जानकारी | मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट से पाम, पामोलीन के दाम टूटे

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट रहने के कारण देश के बाजारों में बृहस्पतिवार को कच्चे पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल कीमतों के दाम टूटते नजर आये। इसके अलावा मांग कमजोर रहने से सोयाबीन तेल कीमत में भी गिरावट रही। दूसरी ओर किसानों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएससी) से कम दाम पर बिकवाली से बचने के काारण सरसों तेल-तिलहन के दाम मजबूत बंद हुए। ऊंचे दाम पर कारोबार प्रभावित होने से मूंगफली तेल-तिलहन, किसानों द्वारा कम दाम पर बिकवाली से बचने से सोयाबीन तिलहन और बिनौला तेल के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए।

नयी दिल्ली, 16 मई मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट रहने के कारण देश के बाजारों में बृहस्पतिवार को कच्चे पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल कीमतों के दाम टूटते नजर आये। इसके अलावा मांग कमजोर रहने से सोयाबीन तेल कीमत में भी गिरावट रही। दूसरी ओर किसानों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएससी) से कम दाम पर बिकवाली से बचने के काारण सरसों तेल-तिलहन के दाम मजबूत बंद हुए। ऊंचे दाम पर कारोबार प्रभावित होने से मूंगफली तेल-तिलहन, किसानों द्वारा कम दाम पर बिकवाली से बचने से सोयाबीन तिलहन और बिनौला तेल के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए।

मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में तेजी है। कल रात शिकॉगो एक्सचेंज में 2-2.25 प्रतिशत की तेजी थी।

बाजार सूत्रों ने कहा कि ब्रांडेड तेल बनाने वाली कंपनियों को सरसों तिलहन खरीदने में नहीं मिल रहा है अैर मजबूत किसान एमएसपी से कम दाम पर बिकवाली करने से बच रहे हैं। इस तथ्य ने उन सारे विश्लेषकों के दावों को धता बताया है जो सरसों की आवक बढ़ने और दाम टूटने की भविष्यवाणी कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि सरकार के हौंसला बढ़ाने के बाद किसानों ने अपनी पैदावार तो बढ़ा दी मगर सस्ते आयातित तेल की भरमार ने बाजार में केवल माहौल बिगाड़ा है जिसकी वजह से सभी तेल-तिलहनों के थोक दाम पर असर हुआ है। हालांकि खुदरा बाजार में मंहगाई की स्थिति जस की तस कायम है और उपभोक्ताओं को खाद्य तेल महंगा ही मिल रहा है। तिलहन किसान पैदावार बढ़ाकर घाटे का शिकार हो रहे हैं जिसकी वजह से देशी तेल पेराई मिलें भी बंद हो चली हैं। तिलहन पैदावार बढ़ाने और देश को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने के लिए इस स्थिति को बदलने और अनुकूल नीतियों को बनाने की ओर ध्यान देने की जरूरत है।

सूत्रों ने कहा कि मांग कमजोर होने से सोयाबीन तेल में गिरावट है। जबकि किसानों द्वारा सस्ते में बिकवाली से बचने के कारण सोयाबीन तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर हैं। ऊंचे भाव पर कारोबार प्रभावित होने से मूंगफली तेल-तिलहन के भाव भी पूर्वस्तर पर रहे। बिनौला में कामकाज ही नहीं है। अगली बिनौले की फसल चार-पांच महीने बाद आयेगी। कारोबार धीमा रहने के बीच बिनौला तेल भी पूर्वस्तर पर बने रहे।

सूत्रों ने कहा कि अब सोयाबीन डीगम तेल का दाम 974 डॉलर प्रति टन हो गया है जबकि पामोलीन का दाम 915 डॉलर प्रति टन है। इससे अब पाम, पामोलीन की आपूर्ति सुधरने के आसार हैं। पाम, पामोलीन में गिरावट का यह भी एक कारण है।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन - 5,650-5,700 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली - 6,125-6,400 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 14,800 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,240-2,540 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 10,725 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,820-1,920 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,820-1,935 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 9,925 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,725 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,250 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,700 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,800 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,850 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 8,975 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना - 4,860-4,880 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,660-4,700 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,075 रुपये प्रति क्विंटल।

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