तेलंगाना के अखबारों में विज्ञापनों को लेकर ईसी के पत्र पर कर्नाटक सरकार ने कहा: नियम का उल्लंघन नहीं

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार ने मंगलवार को कहा कि चुनावी राज्य तेलंगाना के अखबारों में अपने काम के बारे में राज्य (कर्नाटक) सरकार के विज्ञापन किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं करते हैं, क्योंकि उन्होंने वोट नहीं मांगे हैं।

DK Shivakumar | Photo: PTI

बेंगलुरु, 28 नवंबर: कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार ने मंगलवार को कहा कि चुनावी राज्य तेलंगाना के अखबारों में अपने काम के बारे में राज्य (कर्नाटक) सरकार के विज्ञापन किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं करते हैं, क्योंकि उन्होंने वोट नहीं मांगे हैं. शिवकुमार ने कहा कि राज्य सरकार इस बारे में निर्वाचन आयोग के पत्र का जवाब देगी. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को इस मामले में निर्वाचन आयोग (ईसी) से एक शिकायत की थी.

शिकायत में आरोप लगाया गया था कि कांग्रेस ने तेलंगाना में 30 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले वहां के अखबारों में कर्नाटक की अपनी सरकार के बारे में विज्ञापन प्रकाशित कर जन प्रतिनिधित्व अधिनियम और आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है. आयोग ने उसी दिन कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को निर्देश दिया था कि वह तेलंगाना के अखबारों में अपने काम के बारे में विज्ञापन प्रकाशित करना बंद कर दे. इतना ही नहीं आयोग ने आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के तहत पूर्वानुमति नहीं लेने के लिए उससे स्पष्टीकरण भी मांगा.

शिवकुमार ने यहां पत्रकारों से कहा कि इन विज्ञापनों का उद्देश्य केवल कर्नाटक सरकार द्वारा किए गए कार्यों को दर्शाना है और ऐसा विपक्षी दलों के उन आरोपों के कारण किया गया है, जिसमें कहा गया है कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने अपनी कोई भी 'गारंटी योजना' लागू नहीं की है. आयोग के निर्देशों के बारे में पूछे गये एक सवाल के जवाब में उन्होंने पूछा, ‘‘हमने कोई उल्लंघन नहीं किया है; कर्नाटक सरकार ने किसी से वोट नहीं मांगा है. हमने क्या उल्लंघन किया है?" उन्होंने जोर देकर कहा, "हमने जो भी काम किया है, उसे हमने विभिन्न राज्यों के सामने पेश किया है- अखबार के पाठकों के सामने, भले ही वह कर्नाटक में हो, तमिलनाडु में हो अथवा तेलंगाना में कोई समस्या नहीं है."

उन्होंने एक बार फिर कहा कि ये विज्ञापन कर्नाटक सरकार के बारे में विपक्ष के दावों के कारण प्रकाशित किये गये, न कि मतों के लिए। उन्होंने कहा, "वे (विपक्षी दल) यह प्रचार करने की कोशिश कर रहे थे कि हमने (गारंटी योजनाएं) लागू नहीं की हैं - हमने सिर्फ (विज्ञापनों में गारंटी के कार्यान्वयन के बारे में) बताया है, हमने कोई वोट नहीं मांगा है.’’ शिवकुमार ने कहा, ‘‘यदि हमने कोई वोट मांगा होता तो (सवाल करना) ठीक था, लेकिन हमने किसी से वोट नहीं मांगा है; हमने यह नहीं कहा है कि कांग्रेस या ‘एक्स’ या ‘वाई’ के लिए वोट करें."

तेलंगाना की सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने भी इस मुद्दे पर निर्वाचन आयोग से संपर्क किया था. कर्नाटक के मुख्य सचिव को लिखे एक पत्र में, आयोग ने कहा कि राज्य सरकार ने विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए उससे पूर्व मंजूरी नहीं ली थी, और उसका कृत्य केंद्र और राज्य सरकारों के लिए वर्षों पहले जारी किए गए आदर्श चुनाव आचार संहिता के निर्देशों का उल्लंघन था. आयोग ने कर्नाटक सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वह आवश्यक मंजूरी मिलने तक तेलंगाना में ऐसे किसी भी विज्ञापन का प्रकाशन तत्काल प्रभाव से बंद कर दे.

चुनाव आयोग ने उन परिस्थितियों पर मंगलवार शाम पांच बजे तक स्पष्टीकरण मांगा है, जिनके कारण आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का उल्लंघन हुआ. अपने पत्र में, आयोग ने यह भी पूछा कि एमसीसी निर्देशों के तहत उल्लिखित प्रक्रिया के उल्लंघन के लिए सूचना और जनसंपर्क विभाग के प्रभारी सचिव के खिलाफ क्यों नहीं अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए. तेलंगाना विधानसभा चुनाव 30 नवंबर को होंगे. मतों की गिनती तीन दिसंबर को होगी.

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