सभी कैदियों की आवश्यक रिहाई के आदेश कभी नहीं दिए : उच्चतम न्यायालय

शीर्ष अदालत ने कहा कि इसके पहले के आदेश का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि राज्य और संघ शासित क्षेत्र अपनी अपनी जेलों में स्थिति का आकलन करें और कुछ कैदियों को रिहा कर दें।

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नयी दिल्ली, 13 अप्रैल उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को स्पष्ट किया कि उसने सभी राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों को जेलों में बंद कैदियों को ‘‘आवश्यक रूप से’’ रिहा करने के आदेश नहीं दिए हैं और न्यायालय के पहले के आदेश का तात्पर्य कोरोना वायरस को देखते हुए जेलों में कैदियों की संख्या को रोकना था।

शीर्ष अदालत ने कहा कि इसके पहले के आदेश का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि राज्य और संघ शासित क्षेत्र अपनी अपनी जेलों में स्थिति का आकलन करें और कुछ कैदियों को रिहा कर दें।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एम एम शांतानागौडर की पीठ ने कहा कि उसके आदेशों का अक्षरश: पालन होना चाहिए और यह सभी सुधार गृहों, हिरासत केंद्रों और सुरक्षा गृहों पर भी लागू होगा।

पीठ ने कहा, ‘‘हम स्पष्ट करते हैं कि हमने राज्यों, केंद्र शासित क्षेत्रों को अपनी जेलों से आवश्यक रूप से कैदियों को रिहा करने के आदेश नहीं दिए। पहले के आदेश का उद्देश्य था कि राज्य और केंद्र शासित क्षेत्र अपनी जेलों में स्थिति का आकलन करें और कोरोना वायरस के तेजी से फैल रहे संक्रमण को देखते हुए कुछ कैदियों को रिहा करें और इसके लिए रिहा किए जाने वाले कैदियों की श्रेणी तय की जाए।’’

इसने कहा, ‘‘हम स्पष्ट करते हैं कि आदेश को अक्षरश: लागू किया जाए।’’

पीठ ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए ये निर्देश जारी किए।

शीर्ष न्यायालय ने कहा कि 23 मार्च के आदेश में उसने राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों को उच्च स्तरीय समितियों का गठन करने के निर्देश दिए जो निर्णय कर सके कि महामारी के दौरान कौन से कैदी अंतरिम जमानत या पैरोल पर रिहा होंगे।

हिरासत केंद्रों में बंद कैदियों को रिहा करने के एक अलग आवेदन पर सुनवाई करते हुए पीठ ने निर्देश दिया कि अगर कोई कैदी कोरोना वायरस से पीड़ित है तो उसे रिहा नहीं किया जाएगा।

इसने कहा कि इस उद्देश्य के लिए उपयुक्त जांच की जाएगी कि क्या रिहा किया जाने वाला कैदी कोरोना वायरस से पीड़ित है अथवा नहीं।

पीठ ने कहा, ‘‘अगर पाया जाता है कि कैदी रिहाई के बाद कोरोना वायरस से पीड़ित है तो संबंधित अधिकारी आवश्यक कदम उठाएंगे और उसे पृथक वास में रखेंगे।’’

इसने निर्देश दिया कि कैदियों की आवाजाही सामाजिक दूरी बनाए रखने के पूरे नियमों के तहत की जाएगी।

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