भंडारण सुविधाएं नहीं होने से किसान सरसों की फसल एमएसपी से कम दर पर बेचने को मजबूर :हुड्डा

हुड्डा ने एक बयान में कहा, ‘‘अधिकतर किसानों के पास भंडारण की क्षमताएं नहीं हैं और इस वजह से उन्हें कम दर पर फसल बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है। सरसों 4425 रुपये प्रति कुंतल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बिकनी चाहिए लेकिन किसान इसे 3,500-3,800 रुपये कुंतल पर बेचने को मजबूर हैं। सरकार को किसानों के लिए उचित भंडारण सुविधाएं प्रदान करनी होंगी वर्ना वे अपनी गेहूं की फसल भी निजी एजेंसियों को एमएसपी से कम दर पर बेच देंगे।’’

चंडीगढ़, 11 अप्रैल हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने शनिवार को कहा कि भंडारण क्षमताओं की कमी के कारण किसानों को अपनी सरसों की फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम दर पर बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है।

हुड्डा ने एक बयान में कहा, ‘‘अधिकतर किसानों के पास भंडारण की क्षमताएं नहीं हैं और इस वजह से उन्हें कम दर पर फसल बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है। सरसों 4425 रुपये प्रति कुंतल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बिकनी चाहिए लेकिन किसान इसे 3,500-3,800 रुपये कुंतल पर बेचने को मजबूर हैं। सरकार को किसानों के लिए उचित भंडारण सुविधाएं प्रदान करनी होंगी वर्ना वे अपनी गेहूं की फसल भी निजी एजेंसियों को एमएसपी से कम दर पर बेच देंगे।’’

मनोहर लाल खट्टर सरकार ने कहा था कि वह सरसों की खरीद की प्रक्रिया 15 अप्रैल से और गेहूं की 20 अप्रैल से शुरू करेगी।

यह खरीद प्रक्रिया एक अप्रैल से शुरू होनी थी, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर देश में लागू लॉकडाउन के कारण इसमें विलंब कर दिया गया।

हुड्डा ने कहा कि उन्होंने सर्वदलीय बैठक में सरकार के समक्ष इन मुद्दों को उठाया था और सुझाव दिया था कि किसान का उगाया हर दाना खरीदा जाए।

उन्होंने सरकार से यह अपील भी की है कि किसानों की फसलें न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जाएं और अनाज का भंडारण हो।

इस बीच उन्होंने राज्य के किसानों से अपील की है कि फसलों की कटाई और उसे बाजार में पहुंचाने में एक दूसरे की मदद करें।

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