जरुरी जानकारी | इस्मा का सरकार से चीनी निर्यात पर पुनर्विचार करने का आग्रह

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. चीनी उद्योग संगठन इस्मा ने बुधवार को सरकार से चीनी निर्यात की अनुमति देने पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। उसने कहा कि चीनी के अनुमानित अधिशेष भंडार और चीनी मिलों पर संभावित वित्तीय दबाव को देखते हुए निर्यात पर फिर से विचार करने की जरूरत है।

नयी दिल्ली, तीन जुलाई चीनी उद्योग संगठन इस्मा ने बुधवार को सरकार से चीनी निर्यात की अनुमति देने पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। उसने कहा कि चीनी के अनुमानित अधिशेष भंडार और चीनी मिलों पर संभावित वित्तीय दबाव को देखते हुए निर्यात पर फिर से विचार करने की जरूरत है।

भारतीय चीनी और जैव-ऊर्जा विनिर्माता संघ (इस्मा) का अनुमान है कि सितंबर में समाप्त होने वाले 2023-24 सत्र में 36 लाख टन तक अधिशेष चीनी स्टॉक बचेगा, जबकि विशेषज्ञों का अनुमान है कि 91 लाख टन का स्टॉक बच सकता है।

इस्मा ने एक बयान में कहा, ‘‘यह अनुमानित अधिशेष चीनी भंडार... संभावित रूप से निष्क्रिय पुराने भंडार और वहन लागत के कारण मिलों के लिए अतिरिक्त लागत का कारण बन सकता है।’’

उद्योग संगठन का तर्क है कि घरेलू खपत और उपलब्धता ‘आरामदायक स्थिति से कहीं अधिक’ है और एथनॉल मिश्रण कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है।

इस्मा के महानिदेशक दीपक बल्लानी ने कहा कि निर्यात की अनुमति देने से पर्याप्त घरेलू स्टॉक भी सुनिश्चित होगा, एथनॉल कार्यक्रम को बनाए रखा जा सकेगा और समय पर किसानों को भुगतान करने के लिए मिलों की वित्तीय स्थिति मजबूत बनाए रखने में मदद मिलेगी।

यह आह्वान ऐसे समय में किया गया है जब सरकार ने 2024-25 सत्र के लिए गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 25 रुपये बढ़ाकर 340 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है।

इस्मा ने चेतावनी दी है कि एफआरपी बढ़ोतरी से उत्पादन लागत बढ़ेगी और वित्तीय रूप से संकटग्रस्त मिलों पर और बोझ पड़ेगा, जिन्हें गन्ना डिलिवरी के 14 दिनों के भीतर किसानों को अनिवार्य रूप से भुगतान करना होगा।

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