देश की खबरें | टेस्ट श्रृंखला को देखते हुए बीसीसीआई के कोहली मामले में जल्दबाजी में कदम उठाने की संभावना नहीं
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. भारतीय कप्तान विराट कोहली की तूफानी प्रेस कांफ्रेंस से स्तब्ध भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) इस संकट से निपटने के लिए विकल्पों पर विचार कर रहा है जबकि यह भी सुनिश्चित करेगा कि मैदान के बाहर के नाटकीय घटनाक्रम से महत्वपूर्ण टेस्ट श्रृंखला से पहले टीम का ध्यान भंग नहीं हो।
नयी दिल्ली, 16 दिसंबर भारतीय कप्तान विराट कोहली की तूफानी प्रेस कांफ्रेंस से स्तब्ध भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) इस संकट से निपटने के लिए विकल्पों पर विचार कर रहा है जबकि यह भी सुनिश्चित करेगा कि मैदान के बाहर के नाटकीय घटनाक्रम से महत्वपूर्ण टेस्ट श्रृंखला से पहले टीम का ध्यान भंग नहीं हो।
भारतीय टेस्ट कप्तान कोहली ने तीन मैचों की श्रृंखला के लिए दक्षिण अफ्रीका रवाना होने से पहले प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा था कि उन्हें कभी टी20 टीम की कप्तानी छोड़ने के लिए नहीं कहा गया। उनका बयान बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली के बयान के विपरीत था जो उन्होंने मीडिया में दिया था।
अतीत में बामुश्किल ही ऐसे मामले देखने को मिले हैं जब भारतीय क्रिकेट के सुपरस्टार और मौजूदा कप्तान तथा अध्यक्ष पद पर काबिज पूर्व कप्तान के बयानों में विरोधाभास हो।
पता चला है कि बुधवार को जो हुआ उससे बीसीसीआई में कोई भी खुश नहीं है लेकिन वे समझते हैं कि मामले के तुरंत हल के लिए उनकी कोई भी कड़ी प्रतिक्रिया नुकसानदेह हो सकती है।
कोहली आज शाम दक्षिण अफ्रीका पहुंच गए जबकि कोलकाता में बोर्ड अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि वह कोई सार्वजनिक बयान नहीं देंगे।
गांगुली ने मीडिया से कहा, ‘‘कोई बयान नहीं, कोई प्रेस कांफ्रेंस नहीं। हम इससे निपट लेंगे, इसे बीसीसीआई पर छोड़ दीजिए।’’
पता चला है कि गांगुली और सचिव जय शाह सहित बीसीसीआई के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने बुधवार को ‘जूम कॉल’ पर बात की जहां सामूहिक रूप से फैसला किया गया कि कोई भी प्रेस कांफ्रेंस नहीं करेगा और ना ही प्रेस विज्ञप्ति जारी करेगा।
बीसीसीआई के एक वरिष्ठ सूत्र ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर पीटीआई को बताया, ‘‘विशेषज्ञ का नजरिया जाना गया कि इस संवेदनशील मामले से कैसे निपटा जाए क्योंकि इससे अध्यक्ष के कार्यालय का सम्मान जुड़ा है। बीसीसीआई को पता है कि टेस्ट श्रृंखला होने वाली है और जल्दबाजी में लिया गया उनका कोई फैसला या बयान टीम का मनोबल प्रभावित कर सकता है।’’
कप्तान और अध्यक्ष के लिए सर्वश्रेष्ठ तरीका यह होगा कि दोनों बैठकर सौहार्दपूर्ण तरीके से मतभेद या संवादहीनता का हल निकालें।
फिलहाल गांगुली या शाह के कप्तान से बात करने की संभावना कम है।
सामान्य तौर पर केंद्रीय अनुबंध खिलाड़ी से संस्था या पदाधिकारियों के खिलाफ आलोचनात्मक टिप्पणी की उम्मीद नहीं की जाती लेकिन कोहली की जो हुआ उससे जुड़े एक सवाल के जवाब में दी गई प्रतिक्रिया नियमों को उल्लंघन है या नहीं, यह भी एक सवाल है इसलिए इस समस्या का कोई आसान हल नहीं होने वाला।
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