देश की खबरें | अगर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति को इलाज की जरूरत पड़े तो अस्पताल में बिस्तर आरक्षित होना चाहिए: अदालत
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसे कुछ विशिष्ट लोगों के उपचार के लिए अस्पतालों में बेड आरक्षित रखने होंगे।
नयी दिल्ली, 21 मई दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसे कुछ विशिष्ट लोगों के उपचार के लिए अस्पतालों में बेड आरक्षित रखने होंगे।
अदालत ने दिल्ली के अस्पतालों में कोविड-19 रोगी को खाली बेड का पता लगाने के लिए एक केंद्रीयकृत और पारदर्शी प्रणाली की वकालत करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। याचिका में कहा गया कि यहां अस्पताल रोगियों को बिस्तर देने में ‘वीआईपी संस्कृति’ को अपना रहे हैं।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा, ‘‘यदि भारत के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति को इलाज की जरूरत है तो आपको उनके लिए किसी अस्पताल में बिस्तर आरक्षित रखना होगा। ऐसी श्रेणी होनी चाहिए। आप ना नहीं कह सकते।’’
पीठ की टिप्पणी पर याचिकाकर्ता की ओर से पक्ष रख रहे वकील विवेक सूद ने कहा कि निश्चित रूप से यह श्रेणी होनी चाहिए लेकिन वह केवल आम लोगों में वीआईपी संस्कृति का अनुसरण होने की बात कर रहे हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘हमने हमारी पहले की सुनवाइयों में इन पहलुओं पर ध्यान दिया है।’’
अदालत ने कहा कि वह याचिकाकर्ता की चिंताओं को समझती है जो वाजिब हैं।
अदालत ने इस याचिका को 24 मई को आने वाले कोविड-19 से संबंधित अन्य मामलों के साथ सूचीबद्ध किया।
दिल्ली निवासी मंजीत सिंह ने अपनी याचिका में कहा कि स्वास्थ्य आपातकाल की मौजूदा स्थिति में बिस्तरों की मांग ज्यादा है और उपलब्धता कम।
उन्होंने कहा, ‘‘कोई तरीका होना चाहिए जिससे शहर में कोविड-19 के रोगियों को बेड का आवंटन मनमाने और अतर्कसंगत तरीके से नहीं हो।’’
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