गुजरात: फर्जी कार्यालय बना सरकारी अनुदान से 4.16 करोड़ रुपये के गबन के आरोप में दो गिरफ्तार
गुजरात के आदिवासी बहुल छोटा उदयपुर जिले में सिंचाई परियोजना के कार्यकारी अभियंता का फर्जी कार्यालय बनाकर पिछले दो वर्षों में सरकारी अनुदान से 4.16 करोड़ रुपये का कथित तौर पर गबन करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी।
छोटा उदयपुर, 28 अक्टूबर: गुजरात के आदिवासी बहुल छोटा उदयपुर जिले में सिंचाई परियोजना के कार्यकारी अभियंता का फर्जी कार्यालय बनाकर पिछले दो वर्षों में सरकारी अनुदान से 4.16 करोड़ रुपये का कथित तौर पर गबन करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी. पुलिस के मुताबिक, आरोपी संदीप राजपूत ने बोडेली में सिंचाई परियोजना खंड के कार्यकारी अभियंता का कथित तौर पर फर्जी कार्यालय बनाया और जाली परियोजनाओं के लिए सरकारी अनुदान से 4.16 करोड़ रुपये प्राप्त किए.
पुलिस ने बताया कि इन फर्जी परियोजनाओं को 2021-22 और 2022-23 में मंजूरी प्रदान की गई थी. एक अधिकारी ने बताया कि राजपूत और उसके सहयोगी अबू बकर सैयद को गिरफ्तार किया गया और शुक्रवार देर रात दोनों आरोपियों को 12 दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया. अधिकारी के मुताबिक, अबू एक सरकारी ठेकेदार भी है. प्राथमिकी के मुताबिक, मामला उस वक्त सामने आया जब परियोजना प्रशासक कार्यालय ने फर्जी कार्यालय की ओर से कुछ सिंचाई परियोजनाओं के लिए 3.75 करोड़ की मांग करने वाले एक प्रस्ताव की जांच की.
प्राथमिकी में बताया गया कि जब सिंचाई विभाग के वास्तविक अधिकारियों से कार्यालय के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि इस तरह का कोई कार्यालय है ही नहीं. प्राथमिकी के मुताबिक, जांच में यह खुलासा हुआ कि फर्जी कार्यालय ने 2021-22 और 2022-23 में क्रमश 1.97 करोड़ और 2.18 करोड़ रुपये की परियोजनाओं के लिए भी इस तरह के प्रस्ताव दिए थे, जिन्हें मंजूरी प्रदान की गई थी और ई-भुगतान के माध्यम से धन जारी किया गया था. पुलिस के मुताबिक, दोनों आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 170 (एक लोक सेवक का पद धारण करने का दिखावा करना), 419 (प्रतिरूपण करके धोखाधड़ी) और अन्य प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है.
इसबीच कांग्रेस की गुजरात इकाई ने मामले की विस्तृत जांच कराने की मांग की ताकि फर्जी सरकारी कार्यालयों के नाम पर करोड़ों रुपये के घोटाले में शामिल 'असली गुनाहगारों' के नामों का खुलासा हो सके. कांग्रेस के एक प्रवक्ता मनीष दोषी ने कहा, ''इस तरह का घोटाला बिना किसी संदेह के लगातार दो वर्ष तक नहीं हो सकता. बिना किसी बड़े राजनेता और सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत से ऐसा संभव नहीं हो सकता.''
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