देश की खबरें | गहलोत ने नूपुर शर्मा मामले में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को निशाना बनाए जाने की आलोचना की
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जयपुर, 16 जुलाई राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पैगंबर मोहम्मद को लेकर कथित रूप से टिप्पणी करने वाली भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा को फटकार लगाने वाले उच्चतम न्यायालय के दो न्यायाधीशों को कुछ लोगों द्वारा निशाना बनाए जाने की मुखर आलोचना करते हुए शनिवार को कहा कि इन न्यायाधीशों ने तो देश के हालात पर अपनी भावना व्यक्त की थी लेकिन इसे 'बड़ा मुद्दा' बना दिया गया।
गहलोत ने उच्चतम न्यायालय की न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ द्वारा की गई टिप्पणियों का जिक्र करते हुए यह बात कही। पीठ ने एक जुलाई को पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ "परेशान करने वाली" टिप्पणी के लिए एक जुलाई को नुपूर शर्मा को फटकार लगाई थी। पीठ ने कहा था कि उनकी (नूपुर) ‘अनियंत्रित जुबान’ ने पूरे देश को आग में झोंक दिया।
मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा, ‘‘हाल ही में न्यायमूर्ति पारदीवाला और न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कुछ कह दिया... न्यायपालिका का सम्मान करना हमारा फर्ज बनता है। 116 लोगों को (न्यायाधीशों के खिलाफ) खड़ा किया गया, जिनमें उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश, नौकरशाह और बड़े बड़े अधिकारी शामिल थे। पता नहीं कौन कौन थे वे? कैसे मैनेज किया गया और इसे किसने मैनेज किया और इसे देश में मुद्दा बना दिया।’’
गहलोत ने कहा, ‘‘ये कई बातें मुझे बहुत कटोचती हैं।’’ मुख्यमंत्री यहां देश भर के विधिक सेवा प्राधिकरणों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर केंद्रीय विधि मंत्री किरण रिजीजू, भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमण मौजूद थे।
गौरतलब है कि गहलोत ने "116 लोगों" का उल्लेख संभवत: उन सेवानिवृत्त न्यायाधीशों और नौकरशाहों के समूह को लेकर किया, जिन्होंने इस महीने की शुरुआत में उच्चतम न्यायालय से नूपुर शर्मा के खिलाफ अपनी टिप्पणियों को वापस लेने की मांग की थी। इनका आरोप कि न्यायालय ने उक्त टिप्पणी करते समय "लक्ष्मण रेखा" लांघी है।
इसी संदर्भ में गहलोत ने कहा कि नौकरशाहों व न्यायाधीशों को अपनी सेवानिवृत्ति के बाद की चिंता छोड़कर देश के लिए काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर कोई मुख्यमंत्री, विधायक, सांसद या न्यायाधीश बनता है, तो उसे देश के लिए कुछ करने का मौका मिला है, उसे इसका गर्व होना चाहिए।
गहलोत ने कहा, ‘‘मैं मुख्यमंत्री बना हूं, कोई विधायक बनता है, सांसद बनता है, प्रधानमंत्री बनता है। आप न्यायाधीश बनते हैं... कितना गर्व होता, देश की सेवा करने का अवसर मिला है। जिंदगी हजार साल का नहीं होती, जो वक्त हमें मिला है उसमें हम देश के लिए कुछ करें।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सेवानिवृत्ति के बाद में हमें क्या बनना है, क्या बन सकते हैं... यह चिंता अगर नौकरशाही में रहेगी, न्यायपालिका में रहेगी तो फिर कैसे काम चलेगा? हालात बहुत गंभीर हैं देश में।’’
गहलोत ने अपने संबोधन में भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के राज्यसभा सदस्य के रूप में मनोनयन का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) गोगोई उच्चतम न्यायालय के उन चार न्यायाधीशों में से एक थे जिन्होंने कभी कहा था कि लोकतंत्र खतरे में है, लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद वह सांसद बन गए।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि देश में स्थिति चिंताजनक है क्योंकि चुनी हुई सरकारों को खरीद-फरोख्त के जरिए गिराया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘चुनी हुई राज्य सरकारों का गिराया जा रहा है। गोवा, मणिपुर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र... ये तमाशा है? क्या लोकतंत्र है अभी देश के अंदर? कैसे रहेगा लोकतंत्र? अगर चुनी हुई सरकारें हॉर्स ट्रेडिंग से बदली जाएंगी?’’
इसके बाद उन्होंने तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के नेतृत्व में विद्रोह के कारण साल 2020 में उनकी सरकार के सामने आए संकट का जिक्र किया। गहलोत ने कहा, "ये तो मेरी सरकार पता नहीं कैसे बच गई, ये भी आश्चर्य हो रहा है, वरना मैं आपके सामने खड़ा नहीं होता।"
उन्होंने कहा कि देश में तनाव व हिंसा का माहौल चिंता पैदा करने वाला है और यह चिंता खत्म होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आगे आकर लोगों से शांति व सद्भाव बनाए रखने की अपील करनी चाहिए।
गहलोत ने मंच पर आसीन रिजीजू से कहा वे उनकी इस भावना को प्रधानमंत्री मोदी तक पहुचाएं।
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