देश की खबरें | एनएच-44 पर पक्की दीवार खड़ी करने, बोरवेल की खुदाई करने को लेकर किसानों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. हरियाणा के सोनीपत जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर कथित तौर पर पक्की दीवार खड़ी करने और एक बोरवेल की खुदाई करने को लेकर पुलिस ने किसानों के खिलाफ दो अलग-अलग मामले दर्ज किये हैं। यह स्थान दिल्ली से लगे सिंघू बार्डर के नजदीक स्थित है, जो केंद्र के नये कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों का एक मुख्य आंदोलन स्थल है।

सोनीपत(हरियाणा), 14 मार्च हरियाणा के सोनीपत जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर कथित तौर पर पक्की दीवार खड़ी करने और एक बोरवेल की खुदाई करने को लेकर पुलिस ने किसानों के खिलाफ दो अलग-अलग मामले दर्ज किये हैं। यह स्थान दिल्ली से लगे सिंघू बार्डर के नजदीक स्थित है, जो केंद्र के नये कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों का एक मुख्य आंदोलन स्थल है।

कुंडली थाना प्रभारी एवं पुलिस निरीक्षक रवि कुमार ने रविवार को फोन पर बताया, ‘‘एनएच-44 पर पक्की दीवार खड़ी करने और एक बोरवेल की खुदाई करने वालों के खिलाफ दो अलग-अलग मामले दर्ज किये गये हैं।’’

उन्होंने बताया कि ये मामले भारतीय दंड संहिता और राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम के संबद्ध प्रावधानों के तहत दर्ज किये गये हैं। इस सिलसिले में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और स्थानीय नगर निकाय अधिकारियों से शिकायतें मिली थीं।

उन्होंने बताया कि पक्की दीवार खड़ी करना और बोरवेल की खुदाई का कार्य अवैध रूप से किया जा रहा।

कुमार ने कहा कि मामला दर्ज होने के बाद ईंट की दीवार खड़ी कर स्थायी ढांचा खड़ा करने और बोरवेल की खुदाई का कार्य रोक दिया गया है।

केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे कुछ किसानों ने सिंघू बॉर्डर प्रदर्शन स्थल के पास ईंट की दीवार खड़ी कर पक्का ढांचा निर्मित करने का कार्य शुरू किया था।

हाड़ कंपाने वाले सर्द मौसम और भारी बारिश का सामना करने के बाद अब प्रदर्शनकारी किसान चिलचिलाती धूप और भीषण गर्मी से बचने के लिए यह ढांचा तैयार कर रहे हैं।

गौरतलब है कि हजारों किसान, जिनमें ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं, दिल्ली के सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर तीन महीने से अधिक समय से डेरा डाले हुए हैं। वे कृषि कानूनों को रद्द करने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं।

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