जरुरी जानकारी | वित्त मंत्रालय ने फेमा के तहत ‘कम्पाउडिंग’ नियमों में संशोधन किया
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नयी दिल्ली, 12 सितंबर वित्त मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को विदेशी विनिमय प्रबंधन कानून (फेमा) के तहत किये गये अपराधों के लिए ‘कम्पाउडिंग’ नियमों में संशोधन किया है। इसके तहत मामले के भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा औपचारिक निपटान को लेकर मौद्रिक सीमा बढ़ायी गयी है और ऑनलाइन भुगतान की अनुमति दी गयी है।
‘कम्पाउंडिंग’ से तात्पर्य स्वेच्छा से नियमों के उल्लंघन को स्वीकार करने, दोषी होने की दलील देने और निवारण की मांग करने की प्रक्रिया से है।
विदेशी मुद्रा (कंपाउंडिंग कार्यवाही) नियम, 2024 के अनुसार, कम्पाउंडिंग आवेदन दाखिल करने का शुल्क पहले के 5,000 रुपये से दोगुना होकर 10,000 रुपये जमा जीएसटी कर दिया गया है।
अधिसूचना में कहा गया है कि आरबीआई के सहायक महाप्रबंधक स्तर के अधिकारी 60 लाख रुपये तक के ‘कम्पाउंडिंग’ आवेदन पर निर्णय ले सकते हैं। यह पहले 10 लाख रुपये था।
इसी तरह, उप-महाप्रबंधक और महाप्रबंधक स्तर के अधिकारियों के लिए मौद्रिक सीमा क्रमशः 2.5 करोड़ रुपये और पांच करोड़ रुपये कर दी गई है।
आरबीआई में मुख्य महाप्रबंधक पांच करोड़ रुपये से अधिक के ‘कम्पाउंडिंग’ मामलों पर निर्णय लेने के लिए अधिकृत होंगे।
वित्त मंत्रालय ने बयान में कहा कि विदेशी मुद्रा (कंपाउंडिंग कार्यवाही) नियम, 2024, 2000 में जारी नियमों की जगह लेगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विदेशी निवेश के लिए नियमों को सरल बनाने को लेकर केंद्रीय बजट 2024-25 में घोषणा की थी। इसके अनुरूप, वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) ने आज विदेशी मुद्रा (कंपाउंडिंग कार्यवाही) नियम, 2024 को अधिसूचित किया है।
इसमें कहा गया है कि व्यापार करने में आसानी को और इसे अधिक सुगम बनाने के लिए मौजूदा नियमों और विनियमों को सुव्यवस्थित तथा तर्कसंगत बनाने की एक व्यापक पहल के तहत रिजर्व बैंक के परामर्श से कंपाउंडिंग कार्यवाही नियमों की व्यापक समीक्षा की गई।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘कंपाउंडिंग आवेदनों के प्रसंस्करण में तेजी लाने और उसे दुरुस्त करने को लेकर संबंधित प्रावधानों पर जोर दिया गया है। इसके तहत, आवेदन शुल्क और कंपाउंडिंग राशि के लिए डिजिटल भुगतान विकल्पों की शुरुआत और अस्पष्टता को खत्म करने तथा प्रक्रिया को स्पष्ट करने के लिए प्रावधानों को सरल और तर्कसंगत बनाने पर ध्यान दिया गया है।’’
इसमें कहा गया है कि ये संशोधन निवेशकों के लिए ‘निवेश को सुगम’ और कारोबारियों के लिए ‘व्यापार करने को आसान’ बनाने को बढ़ावा देने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को बताते हैं।
नांगिया एंडरसन इंडिया में भागीदार (नियामकीय) अंगाली मल्होत्रा ने कहा कि नियमों में जो प्रमुख अद्यतन किया गया है, उसमें से एक में कंपाउंडिंग के अंतर्गत उल्लंघनों को लेकर मौद्रिक सीमाओं में उल्लेखनीय वृद्धि शामिल है। संशोधित सीमाओं के साथ प्राधिकरण के विभिन्न स्तरों पर अधिक जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह बदलाव बताता है कि मामलों को बेहतर तरीके से निपटान किया जाएगा...।’’
मल्होत्रा ने कहा, ‘‘यह संशोधित संरचना...इसमें शामिल सभी पक्षों के लिए अधिक सुव्यवस्थित और कुशल प्रक्रियाएं प्रदान करती है।’’
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