जरुरी जानकारी | सरकार के उपायों से एक साल में अरहर दाल के थोक भाव तीन प्रतिशत घटे
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. सरकार ने मंगलवार को कहा कि दलहनों की घरेलू आपूर्ति बढ़ाने तथा कीमतों को स्थिर बनाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से पिछले एक साल में अरहर दाल के थोक मूल्य में करीब तीन प्रतिशत की गिरावट आई है।
नयी दिल्ली, 22 फरवरी सरकार ने मंगलवार को कहा कि दलहनों की घरेलू आपूर्ति बढ़ाने तथा कीमतों को स्थिर बनाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से पिछले एक साल में अरहर दाल के थोक मूल्य में करीब तीन प्रतिशत की गिरावट आई है।
एक सरकारी बयान में कहा गया, ‘‘सरकार ने आवश्यक खाद्य वस्तुओं की घरेलू उपलब्धता बढ़ाने और कीमतों को स्थिर करने के लिए कई सक्रिय किए हैं। इन उपायों के कारण अरहर/अरहर दाल की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई है।’’
उपभोक्ता मामलों के विभाग (डीओसीए) के आंकड़ों के अनुसार, 22 फरवरी, 2022 को अरहर दाल का औसत थोक मूल्य 9,255.88 रुपये प्रति क्विंटल था, जो एक साल पहले इसी दिन 9,529.79 रुपये प्रति क्विंटल था, जो 2.87 प्रतिशत की गिरावट को दर्शाता है।
इसी तरह, 21 फरवरी, 2022 को अरहर दाल का औसत थोक मूल्य 9,252.17 रुपये प्रति क्विंटल था, जो एक साल पहले इसी दिन 9,580.17 रुपये प्रति क्विंटल था। यह 3.42 प्रतिशत की गिरावट है।
केंद्र ने कहा कि मई, 2021 में राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को आवश्यक खाद्य वस्तुओं की कीमतों की निगरानी और आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत मिल मालिकों, आयातकों और व्यापारियों के पास दलहन भंडार का खुलासा सुनिश्चित करने के लिए परामर्श जारी किया गया था।
मूंग को छोड़कर सभी दालों पर स्टॉक सीमा दो जुलाई, 2021 को अधिसूचित की गई थी।
बयान में कहा गया, ‘‘इसके बाद, 19 जुलाई, 2021 को एक संशोधित आदेश जारी किया गया, जिसमें चार दालों, अरहर, उड़द, मसूर, चना पर 31 अक्टूबर, 2021 तक की अवधि के लिए स्टॉक सीमा तय की गई।’’
दालों की उपलब्धता में सुधार और कीमतों को स्थिर करने के मकसद से सरकार ने दलहनों का सुचारू और निर्बाध आयात सुनिश्चित करने के लिए 15 मई, 2021 से 31 अक्टूबर, 2021 तक 'मुक्त श्रेणी' के तहत अरहर, उड़द और मूंग के आयात की अनुमति दी थी।
अरहर और उड़द के आयात के संबंध में मुक्त व्यवस्था को 31 मार्च, 2022 तक बढ़ा दिया गया है।
बयान में कहा गया है, ‘‘आयात संबंधी नीतिगत उपायों के परिणामस्वरूप पिछले दो वर्षों की इसी अवधि की तुलना में अरहर, उड़द और मूंग के आयात में पर्याप्त वृद्धि हुई है।’’
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