देश की खबरें | आपराधिक मामले में उपस्थिति जरूरी होने पर विदेशियों को देश छोड़ने की अनुमति नहीं दें: न्यायालय

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि अगर किसी आपराधिक आरोप का जवाब देना जरूरी हो तो किसी विदेशी को भारत छोड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

नयी दिल्ली, छह जनवरी उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि अगर किसी आपराधिक आरोप का जवाब देना जरूरी हो तो किसी विदेशी को भारत छोड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्ल भुइयां की पीठ ने कहा कि किसी विदेशी नागरिक को जमानत देते समय अदालत को राज्य या अभियोजन एजेंसी को निर्देश जारी करना चाहिए कि वह विदेशी पंजीकरण नियम-1992 के तहत संबंधित पंजीकरण अधिकारी को अपने आदेश के बारे में तुरंत सूचित करे।

पीठ ने कहा, ‘‘जब किसी आपराधिक आरोप का जवाब देने के लिए किसी विदेशी की भारत में उपस्थिति आवश्यक हो, तो भारत छोड़ने की अनुमति देने से इनकार कर दिया जाना चाहिए। आदेश (1948 का आदेश) के तहत, नागरिक प्राधिकरण किसी विदेशी की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा सकता है।’’

पीठ ने कहा कि पंजीकरण अधिकारी को जमानत आदेश के बारे में नागरिक प्राधिकरण सहित सभी संबंधित एजेंसियों को सूचित करना चाहिए।

शीर्ष अदालत का आदेश उस मामले में आया जिसमें उसने जुलाई, 2024 में मादक पदार्थ के संबंध में एक नाइजीरियाई नागरिक पर लगाई गई जमानत शर्तों से संबंधित दो मुख्य मुद्दों पर फैसला किया था।

पीठ ने सोमवार को अपने आदेश में विदेशी अधिनियम, 1946 के प्रावधानों का उल्लेख किया और कहा कि विदेशी नागरिक आदेश, 1948 के खंड 5(1)(बी) के अनुसार, किसी भी विदेशी को क्षेत्राधिकार रखने वाले नागरिक प्राधिकरण की अनुमति के बिना भारत नहीं छोड़ना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने कहा, एक बार जब किसी विदेशी को जमानत पर रिहा कर दिया गया, तो वे 1948 के आदेश के खंड 5 के तहत नागरिक प्राधिकरण की अनुमति के बिना भारत नहीं छोड़ सकते।

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