विदेश की खबरें | राजनयिक दस्तावेज लीक करने का मामला: सुनवाई जेल में कराने को चुनौती देने वाली इमरान की याचिका पर फैसला सुरक्षित

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on world at LatestLY हिन्दी. पाकिस्तान की एक अदालत ने कथित तौर पर गोपनीय राजनयिक दस्तावेज लीक किये जाने से जुड़े मामले की सुनवाई अटक जेल के अंदर किये जाने को चुनौती देने वाली पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की याचिका पर फैसला मंगलवार को सुरक्षित रख लिया।

श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

इस्लामाबाद, 12 सितंबर पाकिस्तान की एक अदालत ने कथित तौर पर गोपनीय राजनयिक दस्तावेज लीक किये जाने से जुड़े मामले की सुनवाई अटक जेल के अंदर किये जाने को चुनौती देने वाली पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की याचिका पर फैसला मंगलवार को सुरक्षित रख लिया।

तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद पांच अगस्त से पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख खान (70) जेल में हैं। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने उनकी सजा 29 अगस्त को निलंबित कर दी, लेकिन दस्तावेज लीक किये जाने से जुड़े मामले में वह जेल में ही रहेंगे। मामले में एक विशेष अदालत ने उनकी रिमांड 13 सितंबर तक के लिए बढ़ा दी।

गोपनीय राजनयिक दस्तावेज लीक करने से जुड़े मामले में, खान पर शासकीय गोपनीयता अधिनियम का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है।

‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार की खबर के अनुसार, इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान, खान के वकील शेर अफजल मारवत ने आरोप लगाया कि राजनयिक दस्तावेज लीक किये जाने से जुड़े मामले की सुनवाई स्थल में बदलाव के पीछे दुर्भावना है।

उन्होंने कहा, ‘‘सुनवाई स्थल बदलने की अधिसूचना जारी करने का मकसद खान को जेल में रखना है। हमें इस बारे में सूचित नहीं किया गया कि अधिसूचना क्यों जारी की गई है।’’

मारवत ने उल्लेख किया कि कानून के अनुसार, शासकीय गोपनीयता अधिनियम के तहत दर्ज मामले में किसी नागरिक के खिलाफ सुनवाई एक विशेष अदालत में होती है। उन्होंने दलील दी कि खान के मामले में भी यह नियम लागू होना चाहिए।

उन्होंने सवाल किया कि किस कानून और अधिकार के तहत विधि मंत्रालय ने मामले की सुनवाई अटक जेल में स्थानांतरित कर दी।

उन्होंने दलील दी, ‘‘मुकदमे की सुनवाई को इस्लामाबाद से पंजाब कैसे स्थानांतरित किया जा सकता है। सुनवाई को दूसरे राज्य में स्थानांतरित करना कानूनन उच्चतम न्यायालय द्वारा किया जा सकता है, ना कि मुख्य आयुक्त या गृह सचिव ऐसा कर सकते हैं।’’ उन्होंने कहा कि यदि सुनवाई स्थल को बदलना था, तो संबद्ध न्यायाधीश के समक्ष एक याचिका दायर की जानी चाहिये थी।

अतिरिक्त अटार्नी जनरल मंसूर इकबाल डोगल ने कहा कि अधिसूचना केवल एक बार के लिए है और यह अपवाद खान की याचिका को निष्प्रभावी बनाता है।

उच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया।

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