देश की खबरें | देशमुख के खिलाफ जांच में बांधा उत्पन्न करने की कोशिश नहीं की: महाराष्ट्र सरकार ने अदालत में कहा
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय में सीबीआई के उस दावे का खंडन किया जिसमें कहा गया था कि राज्य सरकार पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ चल रही उसकी जांच को बाधित करने की कोशिश कर रही है।
मुंबई, 24 नवंबर महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय में सीबीआई के उस दावे का खंडन किया जिसमें कहा गया था कि राज्य सरकार पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ चल रही उसकी जांच को बाधित करने की कोशिश कर रही है।
राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता डैरियस खम्बाटा ने कहा कि उनका देशमुख से कोई लेना देना नहीं है। राज्य सरकार ने सीबीआई द्वारा मुख्य सचिव सीताराम कुंटे और पुलिस महानिदेशक संजय पांडे को देशमुख के खिलाफ जांच के सिलसिले में समन भेजे जाने को अदालत में चुनौती दी है।
खम्बाटा ने कहा, ‘‘मैं (महाराष्ट्र सरकार) उनसे संबंधित नहीं हूं। कृपया उनकी जांच करें। आगे बढ़ें और उनके साथ जो कुछ करना है करें।’’ उन्होंने यह तर्क जांच से जुड़ी कुछ सामग्री सीलबंद लिफाफे में अदालत में जमा करने के सीबीआई के फैसले का विरोध करते हुए दिया।
खम्बाटा ने न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति एसवी कोतवाल की पीठ से कहा कि एजेंसी को सब कुछ खुली अदालत में दाखिल करना चाहिए। खम्बाटा ने यह भी रेखांकित किया कि जब महाराष्ट्र सरकार भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की अधिकारी रश्मि शुक्ला मामले में कुछ सामग्री सीलबंद लिफाफे में जमा करना चाहती थी, तब उच्च न्यायालय ने उसे खुली अदालत में पेश करने को कहा था।
सीबीआई मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जाने के बाद उनकी जांच कर रही है। सिंह ने आरोप लगाया था कि देशमुख ने पुलिस अधिकारियों से मुंबई के बार और रेस्तरां से उगाही करने को कहा था। इस साल सितंबर में सीबीआई ने मुख्य सचिव कुंटे और पुलिस महानिदेशक पांडेय को पूछताछ के लिए समन भेजा था जिसके खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने उच्च न्यायालय का रुख किया है। राज्य सरकार ने इसे प्रताड़ित करने का हथकंडा करार दिया है।
सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल अमन लेखी ने कहा, ‘‘एजेंसी कुछ सामग्री सीलबंद लिफाफे में जमा करना चाहती है जो दिखाते हैं कि पुलिस अधिकारियों के स्थानांतरण और पद वितरण में देशमुख का किस तरह ‘हस्तक्षेप और नियंत्रण’ था।
इस मामले में बृहस्पतिवार को भी सुनवाई जारी रहेगी।
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