देश की खबरें | तमिलनाडु को कावेरी का पानी देने के आदेश में दखल से न्यायालय के इनकार के बाद कर्नाटक में प्रदर्शन
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बेंगलुरु, 21 सितंबर उच्चतम न्यायालय द्वारा पड़ोसी राज्य तमिलनाडु के लिए 5,000 क्यूसेक पानी छोड़ने के कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) और कावेरी जल नियमन समिति (सीडब्ल्यूआरसी) के आदेश में दखल से इनकार करने के बाद कर्नाटक के कावेरी नदी बेसिन के जिलों में प्रदर्शन शुरू हो गया।
किसानों के संगठन और कन्नड़ समर्थक संगठनों ने अपना रोष जाहिर करने के लिए मैसुरु, मांड्या, बेंगलुरु और अन्य हिस्सों में प्रदर्शन किया और राज्य सरकार से तमिलनाडु के लिए पानी नहीं छोड़ने का अनुरोध किया।
कर्नाटक राज्य रैथा संघ और किसान संगठन हसीरु सेना ने मैसुरु में बासवेश्वर क्षेत्र में प्रदर्शन किया और ‘‘छोड़ने के लिए पानी कहां है?’’, ‘‘हम न्याय की मांग करते हैं’’, के नारे लगाए।
उन्होंने प्रदर्शन के तहत मैसुरु में कमान क्षेत्र विकास प्राधिकरण के कार्यालय का घेराव करने की भी योजना बनाई है।
एक किसान नेता ने कहा कि कावेरी और काबिनी बेसिन के तालुकाओं को पहले से ही सूखा प्रभावित क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सीडब्ल्यूएमए का आदेश तमिलनाडु के पक्ष में है क्योंकि इसमें कर्नाटक के जलाशयों के जल स्तर, खड़ी फसलों और पीने के पानी की जरूरतों को ध्यान में नहीं रखा गया है।
कर्नाटक रक्षण वेदिके ने गांधीनगर में प्रदर्शन किया और राज्य सरकार से किसी भी कीमत पर तमिलनाडु को पानी नहीं छोड़ने का अनुरोध किया।
वेदिके के प्रमुख टी. ए. नारायण गौड़ा ने इसे कर्नाटक के लिए ‘‘काला दिन’’ करार देते हुए कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने सीडब्ल्यूएमए के आदेश को बरकरार रखकर हमारे लिए अपने दरवाजे बंद कर लिए हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जमीनी हकीकत को समझे बिना आदेश जारी किए गए हैं, ऐसे में हमें उच्चतम न्यायालय और सीडब्ल्यूएमए के आदेशों की अवहेलना करनी होगी। हमने (कर्नाटक) कहा है कि हम पानी जारी करने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि हमारे चार बांधों में यहां तक कि पीने का पानी भी नहीं है और हमने उनसे स्थिति के आकलन के लिए टीम भेजने को कहा है। इसके बावजूद दिल्ली में बैठे सीडब्ल्यूएमए ने आदेश जारी कर दिया जिसे उच्चतम न्यायालय ने भी बरकरार रखा। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’’
गौड़ा और वेदिके के कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया और पुलिस वाहनों में ले जाया गया।
मुख्यमंत्री सिद्धरमैया से राज्य के हित में कड़ा फैसला लेने और पानी जारी नहीं करने का अनुरोध करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘आदेशों की अवमानना के लिए सभी कार्यकर्ता और लोग उनके साथ जेल जाने के लिए तैयार हैं। सिद्धरमैया को पूर्व मुख्यमंत्री बंगारप्पा की तरह की कदम उठाना चाहिए जो आदेशों के जवाब में एक अध्यादेश लेकर आए थे।’’
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता एवं पूर्व मंत्री आर. अशोक ने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार पर कांग्रेस के राजनीतिक हितों की रक्षा के लिए कर्नाटक के लोगों से विश्वासघात करने का आरोप लगाया।
सीडब्ल्यूएमए ने सोमवार को कर्नाटक को तमिलनाडु को 15 और दिनों तक 5,000 क्यूसेक पानी छोड़ना जारी रखने को कहा। एक सप्ताह पहले सीडब्ल्यूआरसी ने भी इसी तरह की सिफारिश की थी।
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