नयी दिल्ली, 16 नवंबर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि मंगलवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की बैठक में उनकी सरकार ने दिल्ली तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में ‘वर्क फ्रॉम होम’ नीति लागू करने और कुछ उद्योगों को बंद करने जैसे कदम उठाने के सुझाव दिए।
शहर के प्रदूषण संकट से निपटने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को विद्यालयों को एक सप्ताह के लिए बंद करने, निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने और सरकारी कर्मचारियों के लिए घरों से ही काम करने की नीति सहित कई आपातकालीन उपायों की घोषणा की थी।
राय ने पत्रकारों से कहा कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के दल सोमवार को कई स्थान पर पहुंचे और यह देखा कि उपायों को लागू किया गया है या नहीं। उन्होंने पाया कि निर्माण कार्य रोक दिए गए हैं।
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को संयुक्त बैठक करने का निर्देश दिया था। मंगलवार को पंजाब, राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश राज्यों ने इस बैठक में हिस्सा लिया।
राय ने कहा, ‘‘बैठक में, दिल्ली सरकार के अधिकारियों ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दिल्ली तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में ‘वर्क फ्रॉम होम’ (डब्ल्यूएफएच) नीति लागू करने, निर्माण कार्यों पर रोक लगाने और उद्योगों को बंद करने का सुझाव दिया। अन्य राज्यों ने भी अपने विचार रखे और हम आयोग की आधिकारिक अधिसूचना का इंतजार कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि इसके बाद एक संयुक्त कार्रवाई योजना बनाई जा सकेगी। उन्होंने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी को लेकर बने संशय को दूर करने को कहा ताकि इसे प्रभावी तरीके से नियंत्रित किया जा सके।
राय ने कहा, ‘‘कल, केंद्र ने उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दाखिल कर कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी चार प्रतिशत है। इसी हलफनामे में केंद्र ने उल्लेख किया कि विशेषज्ञों के साथ हुई एक बैठक में कहा गया कि प्रदूषण स्तर में इसका योगदान 35 से 40 प्रतिशत है। मैं केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से स्पष्टीकरण का अनुरोध करता हूं। एक ही हलफनामे में दो तथ्य हैं। कौन सा सही है ?’’
मंत्री ने कहा कि सही आंकड़ों के साथ ही वे प्रदूषण रोकने के लिए एक रणनीति बना पाएंगे। उन्होंने कहा, ‘‘चार प्रतिशत वाले आंकड़े के आधार पर बनी रणनीति के अलग परिणाम आएंगे और 35 प्रतिशत के आंकड़े को देखते हुए बनाई रणनीति के विभिन्न परिणाम आएंगे।’’
राय ने केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वाणु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली ‘सफर’ द्वारा सार्वजनिक किए गए आंकड़ों का उल्लेख किया जिनमें 4 से 14 नवंबर तक प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी का विवरण है।
उन्होंने कहा, ‘‘वायु प्रदूषण में 4 नवंबर को पराली जलने का योगदान 25 प्रतिशत, 5 नवंबर को 36 प्रतिशत, 6 नवंबर को 41 प्रतिशत, 7 नवंबर को 48 प्रतिशत, 8 नवंबर को 30 प्रतिशत, 9 व 10 नवंबर को 27 प्रतिशत और 11 नवंबर को 26 प्रतिशत था। यह 12 नवंबर को 35 प्रतिशत, 13 नवंबर को 31 प्रतिशत और 14 नवंबर को 12 प्रतिशत रहा।’’
राय ने कहा, ‘‘इन आंकड़ों को देखें तो औसत 31 प्रतिशत आता है। यह भी केंद्र सरकार का ही आंकड़ा है। हम केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से अनुरोध करते हैं कि आंकड़ों पर स्थिति स्पष्ट करें ताकि सही रणनीति बनाई जा सके।’’
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