भारत, जापान में बढ़ रहे कोविड-19 के मामले, कई देशों में कम हो रहा प्रकोप
जापान में बृहस्पतिवार को पहली बार 500 से अधिक मामले सामने आए। यह बढ़ातेरी चिंताजनक है क्योंकि इस देश में बड़ी आबादी बुजुर्गों की है और यह संक्रमण बुजुर्गों के लिए खासतौर पर घातक है।
न्यूयार्क, नौ अप्रैल (एपी) जापान में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं और भारत के भीड़भाड़ वाले शहरों में संक्रमण का खतरा तेज हो रहा है । उधर, अमेरिका और यूरोप के कोविड-19 से बुरी तरह प्रभावित कुछ देशों में इसका प्रकोप कम होता दिख रहा है तथा वे पाबंदियों में ढील देने के बारे में विचार कर रहे हैं। जिन देशों में महामारी का प्रकोप कम हो रहा है, वहां इस संक्रमण को फैलने से रोकने में ये पाबंदियां ही काम आई हैं।
जापान में बृहस्पतिवार को पहली बार 500 से अधिक मामले सामने आए। यह बढ़ातेरी चिंताजनक है क्योंकि इस देश में बड़ी आबादी बुजुर्गों की है और यह संक्रमण बुजुर्गों के लिए खासतौर पर घातक है।
प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने इस हफ्ते की शुरुआत में तोक्यो और अन्य छह स्थानों पर आपातकाल घोषित कर दिया था लेकिन लॉकडाउन की घोषणा नहीं की। यहां कंपनियां भी घर से काम को पूरी तरह से अपना नहीं पाई हैं और तोक्यो की सड़कों पर अब भी लोगों का सामान्य आवागमन देखा जा रहा है।
भारत में 1.3 अरब लोग अगले हफ्ते तक लॉकडाउन का सामना कर रहे हैं। यहां राजधानी और इसके इर्दगिर्द कई दर्जन हॉटस्पॉट सील कर दिए गए हैं। लोगों को घरों से निकलने की इजाजत नहीं है और आवश्यक वस्तुओं तथा दवाईयों की आपूर्ति उन्हें की जा रही है। भारत में संक्रमण के मामले पांच हजार के आंकड़े को पार कर चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, संक्रमण के कारण 166 लोगों की मौत हो चुकी है।
इस बीच, इटली और स्पेन जैसे स्थान जहां पर मिलाकर 30,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, वहां कोविड-19 का प्रकोप कुछ कम होता दिख रहा है। न्यूयॉर्क से भी अच्छे संकेत मिल रहे हैं।
लेकिन नेताओं और स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि यह संकट अभी टला नहीं है और यदि इस वक्त थोड़ी भी ढील बरती गई तो संक्रमण फिर लौट सकता है और विनाशकारी हालात बन सकते हैं।
न्यूयार्क के गवर्नर एंड्रयू क्यूमो ने कहा, ‘‘संक्रमण के मामले कम हो रहे हैं क्योंकि हम सामाजिक दूरी का बड़ी सख्ती से पालन कर रहे हैं। लेकिन यह वक्त जरा भी असावधान होने का या ढील देने का नहीं है। यह वक्त ऐसा नहीं है कि हम जो करते आ रहे हैं उससे कुछ अलग करें।’’
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