न्यायालय ने न्यायिक वेतन आयोग के कार्यान्वयन के लिए उच्च न्यायालयों में समिति के गठन का आदेश दिया

देश भर के न्यायिक अधिकारियों की सेवा शर्तों में एकरूपता की आवश्यकता पर बल देते हुए उच्चतम न्यायालय ने दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (एसएनजेपीसी) के अनुसार सेवानिवृत्ति लाभ, वेतन, पेंशन और अन्य आदेशों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए प्रत्येक उच्च न्यायालय में दो-न्यायाधीशों की समिति के गठन का निर्देश दिया है।

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नयी दिल्ली, 10 जनवरी: देश भर के न्यायिक अधिकारियों की सेवा शर्तों में एकरूपता की आवश्यकता पर बल देते हुए उच्चतम न्यायालय ने दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (एसएनजेपीसी) के अनुसार सेवानिवृत्ति लाभ, वेतन, पेंशन और अन्य आदेशों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए प्रत्येक उच्च न्यायालय में दो-न्यायाधीशों की समिति के गठन का निर्देश दिया है.

प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कानून के शासन में आम नागरिकों के विश्वास और भरोसे को बनाए रखने के लिए आवश्यक न्यायिक स्वतंत्रता तभी तक सुनिश्चित और बढ़ाई जा सकती है जब तक कि न्यायाधीश वित्तीय गरिमा की भावना के साथ अपना जीवन जीने में सक्षम हैं. पीठ में न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे. पीठ ने कहा, ‘‘किसी न्यायाधीश के लिए सेवा की शर्तें सम्मानजनक हों, यह सुनिश्चित होना चाहिए.

सेवानिवृत्ति के बाद की सेवा शर्तों का न्यायाधीश के पद की गरिमा और स्वतंत्रता तथा समाज के नजरिए पर महत्वपूर्ण असर पड़ता है. अगर न्यायपालिका सेवा को एक व्यवहार्य करियर विकल्प बनाना है और प्रतिभा को आकर्षित करना है तो कार्यरत और सेवानिवृत्त दोनों अधिकारियों के लिए सेवा की शर्तों में सुरक्षा और सम्मान प्रदान किया जाना चाहिए.’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि अन्य सेवाओं के अधिकारियों ने एक जनवरी, 2016 को अपनी सेवा शर्तों में संशोधन का लाभ उठाया है जबकि न्यायिक अधिकारियों से संबंधित ऐसे ही मुद्दे अब भी आठ साल से अंतिम निर्णय का इंतजार कर रहे हैं. पीठ ने कहा कि सेवा से सेवानिवृत्त हुए न्यायाधीश और जिन लोगों का निधन हो गया है, उनके पारिवारिक पेंशनभोगी भी समाधान का इंतजार कर रहे हैं.

एसएनजेपीसी की सिफारिशों में जिला न्यायपालिका की सेवा शर्तों को निर्धारित करने के लिए एक स्थायी तंत्र स्थापित करने के मुद्दे से निपटने के अलावा वेतन संरचना, पेंशन और पारिवारिक पेंशन और भत्ते आदि शामिल हैं. शीर्ष अदालत ने कहा कि उसका विचार है कि जिला न्यायपालिका की सेवा शर्तों और एसएनजेपीसी की सिफारिशों के क्रियान्वयन के संबंध में इस न्यायालय के आदेशों को लागू करने के लिए प्रत्येक उच्च न्यायालय के तत्वावधान में एक खाका स्थापित किया जाना चाहिए.

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