देश की खबरें | संविधान अस्तित्व के संकट का सामना कर रहा है, भारत अब सहयोगी संघवाद नहीं रहा: कांग्रेस अध्यक्ष खरगे
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नयी दिल्ली, 26 नवंबर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शनिवार को सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि संविधान अस्तित्व के संकट का सामना कर रहा है और भारत अब सहयोगी संघवाद वाला राष्ट्र नहीं रहा।
संविधान दिवस पर एक बयान में उन्होंने आरोप लगाया कि 2014 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सत्ता में आने के बाद से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने इसे संविधान में निहित स्वतंत्रता को कम करने के लिए एक राजनीतिक औजार के रूप में इस्तेमाल किया है।
खरगे ने कहा, ‘‘अवैध वैध हो गया है क्योंकि हाशिया अब मुख्यधारा बन गया है। हमारे लोकतंत्र की सबसे महत्वपूर्ण वास्तविक भावना को ऐसे लोगों द्वारा विकृत और अनादर किया जा रहा है, जो इसे पूरी तरह से विपरीत एजेंडे को आगे बढ़ाने के साधन के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।’’
खरगे ने ‘‘भारतीय संविधान के समक्ष मंडराता संकट’’ शीर्षक वाले अपने बयान में कहा कि भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने कहा था, ‘‘अगर निर्वाचित लोग चरित्रवान और निष्ठावान होते हैं, तो उन्हें एक दोषपूर्ण संविधान को सर्वश्रेष्ठ बनाने में सक्षम होना चाहिए। अगर उनमें कमी रहती है तो संविधान देश की मदद नहीं कर सकता।’’
उन्होंने दावा किया कि ‘‘जब हम संविधान के 73वें वर्ष का जश्न मना रहे हैं, तब ये शब्द बेहद सच होते दिख रहे हैं।’’ कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया कि एक संविधान जो सात दशकों से अधिक समय से समय की कसौटी पर खरा उतरा है ‘‘आज एक मूल संकट का सामना कर रहा है, जो वास्तव में इसके लिए एक अस्तित्वगत संकट है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम एक ऐसे बिंदु पर पहुंच गए हैं, जहां न केवल लोगों के बीच बल्कि सरकारों और राज्यों के बीच भी असहमति बढ़ रही है। हमारा देश अब एक सहयोगी संघवाद वाला राष्ट्र नहीं है।’’
कांग्रेस प्रमुख ने दावा किया कि ‘‘यह संकट देश के संस्थानों के भीतर आरएसएस की लगातार बढ़ती पहुंच और सत्ता में भाजपा के सत्ता में होने के साथ इसकी विचारधारा का विस्तार होने से बढ़ता जा रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने खुद का और अपने संस्थानों का पूरी तरह से आरएसएस के फरमानों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है, यह ऐसा संगठन है जो समाज सेवा की आड़ में घृणित प्रचार को आगे बढ़ाता है। वास्तव में, आरएसएस और भाजपा शब्दों का परस्पर एक दूसरे के लिए इस्तेमाल करना अब गलत नहीं है।’’
उन्होंने भीमराव आंबेडकर की चेतावनी को याद किया कि ‘‘यदि पार्टियां देश के ऊपर पंथ रखती हैं, तो हमारी स्वतंत्रता दूसरी बार खतरे में पड़ जाएगी और शायद हमेशा के लिए खो जाएगी। इससे हम सभी को पूरी तरह से बचना चाहिए।’’
कांग्रेस प्रमुख ने यह भी आरोप लगाया कि व्यवस्था के भीतर, सत्तारूढ़ पार्टी ने विरोध व्यक्त करने के लिए विपक्षी दलों के सभी रास्तों को रोक दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘संसद में जब भी भाजपा के कार्यों पर सवाल उठाए जाते हैं तो माइक्रोफोन को नियमित रूप से 'म्यूट' कर दिया जाता है और मीडिया में हमारे लिए सुलभ स्थान हर दिन कम होते जा रहे हैं।’’
खरगे ने विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ एजेंसियों के ‘‘दुरुपयोग’’ को लेकर भी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि उनके खिलाफ ‘‘केंद्रीय जांच एजेंसियों का जबरन दुरुपयोग करके’’ किसी भी असहमति से निपटा जा रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘भारत के निर्वाचन आयोग के कामकाज और स्वतंत्रता को खतरे में डाल दिया गया है। धन विधेयक के रूप में लागू चुनावी बांड की अपारदर्शी प्रणाली को सत्तारूढ़ पार्टी को अनुचित लाभ देने के लिए लाया गया।’’ खरगे ने दावा किया कि कानून मंत्री कार्यपालिका और न्यापालिका को ‘‘आपस में लड़ने का कोई फायदा नहीं है’’ का भाषण देते हैं।
खरगे ने आरोप लगाया, ‘‘भाजपा/आरएसएस और उसके दूत देश को धार्मिक, जाति और सांप्रदायिक आधार पर विभाजित कर रहे हैं।’’ कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया, ‘‘हर क्षेत्र में नैतिकता के पहरुए की निगरानी बढ़ गई है। निजता को समाप्त किया जा रहा है। नागरिकों और नागरिक समाज पर अपनी आवाज उठाने के लिए सत्ता के शीर्षस्थ लोगों द्वारा निर्ममता से हमला किया गया है।’’
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